मुम्बई हादसों ने सबके मन में उथल पुथल मचा रखी है। सब की भावनायें किसी न किसी प्रकार से अभिव्यक्त हो रही हैं। ज्ञान भी कुछ लिखते रहे (उनकी भाषा में कहें तो ठेलते रहे)। कुछ तीखा भी लिखते, पर उसे पब्लिश करने से अपने को रोकते रहे। उन्होंने मुझसे भी पूछा कि तुम्हारे मनContinue reading “उधर भी झांक आते लोग”
Category Archives: रीता
छोटे छोटे पिल्ले चार!
मेरे घर के सामने बड़ा सा प्लॉट खाली पड़ा है। अच्छी लोकेशन। उसके चारों ओर सड़क जाती है। किसी का है जो बेचने की जुगाड़ में है। यह प्लॉट सार्वजनिक सम्पत्ति होता तो बहुत अच्छा पार्क बन सकता था। पर निजी सम्पत्ति है और मालिक जब तक वह इसपर मकान नहीं बनाता, तब तक यहContinue reading “छोटे छोटे पिल्ले चार!”
जग्गू की गृहस्थी
एक गांव में एक जमींदार था। उसके कई नौकरों में जग्गू भी था। गांव से लगी बस्ती में, बाकी मजदूरों के साथ जग्गू भी अपने पांच लड़कों के साथ रहता था। जग्गू की पत्नी बहुत पहले गुजर गई थी। एक झोंपड़े में वह बच्चों को पाल रहा था। बच्चे बड़े होते गये और जमींदार केContinue reading “जग्गू की गृहस्थी”
