मुझे २३९७, महाबोधि एक्स्प्रेस से एक दिन के लिये दिल्ली जाना पड़ रहा है1. चलती ट्रेन में कागज पर कलम या पेन्सिल से लिखना कठिन काम है. पर जब आपके पास कम्प्यूटर की सुविधा और सैलून का एकान्त हो – तब लेखन सम्भव है. साथ में आपके पास ऑफलाइन लिखने के लिये विण्डोज लाइवराइटर होContinue reading “यह चलती ट्रेन में लिखी गयी पोस्ट है!”
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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से छात्रों की निकासी के रेल इन्तजाम
कल सवेरे नेट पर यह खबर देख कि कुलपति का घर ए.एम.यू. छात्रों ने जला दिया है; लगा कि अलीगढ़ अशान्त रहेगा. और हर अशान्ति में रेलवे के प्रति वक्रदृष्टि होना आशंकित होता है – सो मुझे कुछ अन्देशा था. अन्तत: दोपहर ढा़ई तीन बजे दोपहर तक स्पष्ट हो गया कि विश्वविद्यालय अनिश्चित काल केContinue reading “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से छात्रों की निकासी के रेल इन्तजाम”
रेल की दुनिया – सन 1999 में जनसत्ता में छपा लेख
स्क्रैप-बुक बड़े मजे की चीज होती है. आप 8-10 साल बाद देखें तो सब कुछ पर तिलस्म की एक परत चढ़ चुकी होती है. मेरी स्क्रैप-बुक्स स्थानांतरण में गायब हो गयीं. पिछले दिनों एक हाथ लगी – रद्दी के बीच. बारिश के पानी में भी पढने योग्य और सुरक्षित. उसी में जनसत्ता की अक्तूबर 1999Continue reading “रेल की दुनिया – सन 1999 में जनसत्ता में छपा लेख”
