टीटीई की नौकरी के विरोधाभास


ट्रेन के समय पर कोच के टीटीई को निहारें. आप कितने भी लोक प्रिय व्यक्ति हों तो भी आपको ईर्ष्या होने लगेगी. टीटीई साहब – “कोई बर्थ खाली नहीं है” कहते हुये चलते चले जा रहे हैं; और पीछे-पीछे 7-8 व्यक्ति पछियाये चल रहे हैं. टीटीई साहब मुड़ कर उल्टी दिशा में चलने लगें तोContinue reading “टीटीई की नौकरी के विरोधाभास”

रेल दुर्घटना – कितने मरे हैं जी?


अमन चैन के माहौल में कल दफ्तर में बैठा था. कुछ ही समय पहले श्रीश के ब्लॉग पर हरयाणवी लतीफे पर टिप्पणी की थी. अचानक सवा बारह बजे कण्ट्रोल रूम ने फोन देने शुरू कर दिये कि जोधपुर हावडा एक्सप्रेस का कानपुर सेण्ट्रल पहुंचने के पहले डीरेलमेण्ट हो गया है. आलोकजी की माने तो मुझेContinue reading “रेल दुर्घटना – कितने मरे हैं जी?”

इधर के और उधर के लोग


इधर के बारे में मुझे दशकों से मालूम है. इधर माने रेलवे – मेरा कार्य क्षेत्र. रेलवे को मिनी भारत कहते हैं. उस मे बड़े मजे से काम चल रहा था/है. यह महज एक संयोग था कि हिन्दी ब्लॉगरी के लोगों का पता चला. अब चार महीने से उधर यानि हिन्दी ब्लॉगरी के विषय मेंContinue reading “इधर के और उधर के लोग”

Design a site like this with WordPress.com
Get started