सूखती खेती


महीना भी नहीं हुआ। मैने 29 फरवरी को पोस्ट लिखी थी – सब्जियां निकलने लगी हैं कछार में। इस पोस्ट में था – शिवकुटी के घाट की सीढ़ियों से गंगाजी तक जाने के रास्ते में ही है उन महिलाओं का खेत। कभी एक और कभी दो महिलाओं को रेत में खोदे कुंये से दो गगरीContinue reading “सूखती खेती”

कछार रिपोर्ताज – 3


बहुत कम होता है, या हूं कहूं कि शिवकुटी के इस हिस्से में पहली बार देखा – कोई अपने प्रिय (शायद पालतू जानवर) को दफना गया था रेत में। एक गेरुआ कपड़ा और गेन्दा की माला थे कब्र के ऊपर। एक काला कुत्ता कब्र खोदने का प्रयास कर रहा था। भगाने पर भी वहीं आContinue reading “कछार रिपोर्ताज – 3”

कछार रिपोर्ताज – 2


होली के बिहान (9 मार्च) सवेरे घूमने गया तो आसमान साफ था। सूर्योदय मेरे सामने हुआ। ललिमा नहीं थी – कुछ पीला पन लिये थे सूर्य देव। जवाहिरलाल ने अलाव जला लिया था। हवा में कल की अपेक्षा कुछ सर्दी थी। गंगाजी के पानी से भाप उठती दिख रही थी, अत: पानी के ऊपर दिखाईContinue reading “कछार रिपोर्ताज – 2”

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