हरीलाल का नाव समेटना


विनोद प्वॉइण्ट पर भूसा के बोरे और डण्ठल के गठ्ठर दिख रहे थे। एक नाव किनारे लग चुकी थी और दो लोग उसकी रस्सी पकड़ कर उसे पार्क कर रहे थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाये कि यह गतिविधि मोबाइल के कैमरे में दर्ज कर सकें। पतला सा नब्बे-सौ ग्राम का मोबाइल बड़े काम कीContinue reading “हरीलाल का नाव समेटना”

चिरंजीलाल


चिरंजीलाल अपने खेत में पानी देते दिखे। अर्से से उस खेत में कोई नहीं दीखता था। सूखता जा रहा था। वार्तालाप का ट्रिगर मेरी पत्नीजी ने किया। और चिरंजीलाल जी बताने लग गये। वे काफी समय से इस पार के खेत में ज्यादा नहीं, गंगा के उस पार के खेत में काम करते थे। गेंहूContinue reading “चिरंजीलाल”

निषादराज


सप्तसिन्धु के आर्यों के पास जीवन का आनन्द लेने के लिये समय की कमी नहीं थी। … वह कामना करते थे – कल्याण हो हमारे घोड़ों, भेड़ों, बकरियों, नर-नारियों और गायों का। (ऋक 1/45/6) इन्ही अपने पशुओं को ले वह चराते थे। राजा और उनमें इतना ही अंतर था कि जहां साधारण आर्य परिवार मेंContinue reading “निषादराज”

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