एक अधकचरा इण्टरव्यू


मानसिक हलचल ने ज्ञानदत्त पाण्डेय का यह इण्टरव्यू लिया है। बहुत कुछ वैसे कि अखबार के मालिक का इण्टरव्यू छापने को सम्पादक बाध्य होता है; मैं ब्लॉग मालिक का यह इण्टरव्यू छाप रहा हूं। माह [मानसिक हलचल]  – पांड़े जी, आप साहित्य के नाम से नाक भौं सिकोड़ते हैं। क्या बतायेंगे कि आप ऐसा क्योंContinue reading “एक अधकचरा इण्टरव्यू”

शराफत अली ताला चाभी वर्क्स


मैने शराफत अली को देखा नहीं है। सुलेम सराय/धूमन गंज से उत्तर-मध्य रेलवे के दफ्तर की ओर जो सड़क मुड़ती है, उसपर एक प्राइम लोकेशन पर शराफत अली की औजार पेटी एक मेज नुमा तख्ते पर रखी रहती है। उसकी बगल में टीन का बोर्ड टिका रहता है जिसपर भंगार जैसे ताला-चाभी टंगे रहते हैं।Continue reading “शराफत अली ताला चाभी वर्क्स”

इण्टरनेट पर हिन्दी


वर्डप्रेस पर मैने प्रारम्भ से देखा कि ब्लॉग पोस्ट लिखते ही उसके हिन्दी होम पेज पर पोस्ट ऊपर दीखने लगती है। वर्डप्रेस पर हिन्दी में बहुत कम लिखा जा रहा है। उत्कृष्टता की कोई स्पर्धा ही नहीं है। उसके अनुसार हिन्दी ब्लॉगिंग, ब्लॉगिंग समग्र के हाशिये पर भी नहीं है। बहुत लिद्द सी दशा!

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