यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो — २


(कल से आगे—) यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो, तो छात्रो‍ के रूप मे‍ हम गम्भीर अध्ययन के कालयापन के स्थान पर अपने पाठ्यक्रम से अलग की गतिविधियो‍ मे‍ ही अधिक रुचि लेंगे और हम ऐसे विचारो‍ तथा कार्यों मे‍ व्यस्त रहेंगे, जो हमारे जीवन कालिका को गलत आकार देंगे और इसके फ़लस्वरूप हमContinue reading “यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो — २”

यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो —


यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो तो हमारी शक्तियों की बजाय हमारी दुर्बलतायें ही अधिक प्रभावी होंगी, हमारे सौभाग्य की तुलना में हमारा दुर्भाग्य ही अधिक प्रबल होगा, हमारे जीवन में सुख शांति की जगह शोक विषाद की ही बहुतायत होगी और हमारे भविष्य की तुलना में हमारा अतीत ही अधिक गौरवशाली होगा। यदिContinue reading “यदि हमारे पास यथेष्ट चरित्र न हो —”

भर्तृहरि, उज्जैन, रहस्यमय फल और समृद्धि-प्रबन्धन


देखिये, हमें पूरा यकीन है कि हमें हिन्दी में कोई जगह अपने लिये कार्व-आउट (carve-out) नहीं करनी है। बतौर ब्लॉगर या चिठेरा ही रहना है – चिठ्ठाकार के रूप में ब्लॉगरी की स्नातकी भी नहीं करनी है। इसलिये अण्ट को शण्ट के साथ जोड़ कर पोस्ट बनाने में हमारे सामने कोई वर्जना नहीं है। सोContinue reading “भर्तृहरि, उज्जैन, रहस्यमय फल और समृद्धि-प्रबन्धन”

Design a site like this with WordPress.com
Get started