आदर्श और विचारधारा का द्वन्द्व


एक विचारधारा (Ideology) में बन्द होना आपको एक वर्ग में शामिल करा कर सिक्यूरिटी फीलिंग देता है। आप वामपंथी गोल वाली विचारधारा का वरण करें तो फोकट फण्ड में क्रान्तिकारी छाप हो जाते हैं। आप दक्षिणपंथी विचारधारा के हों तो आर.एस.एस. की शाखाओं में बौद्धिक ठेल सकते हैं। ज्यादा रिफाइण्ड ठेलते हों तो आप साहित्यकारContinue reading “आदर्श और विचारधारा का द्वन्द्व”

नेट पर फैला साइबरित्य


शहर बने। जब गांव शहर की ओर चले तो सबर्ब (Urban>Suburban) बने। अब लोग सबर्ब से साइबर्ब (Suburb>Cyburb) की ओर बढ़ रहे हैं। की-बोर्ड और माउस से सम्प्रेषण हो जा रहा है। नई विधा पुख्ता हो रही है।   बन्धुवर, यह गांव/शहर या सबर्ब का युग नहीं, साइबर्ब (Cyburb) का युग है। आप यहां जोContinue reading “नेट पर फैला साइबरित्य”

अनुशासनाचार्यों का रुदन!


उपेक्षाभाव से मैं यह भी लिख सकता था – डिसिप्लिनाचार्यों का वीपन!  डिसिप्लिन (decipline) और वीप (weep) अंग्रेजी से और शब्दविन्यास हिन्दी से लेते हुये। पर शायद वह संप्रेषण में ज्यादा अटपटा हो जाता। लेकिन, मान्यवर, वह होता मूल भावना के ज्यादा करीब। हिन्दी में इतने साल में थोड़े से ब्लॉग बने हैं। वो भीContinue reading “अनुशासनाचार्यों का रुदन!”

Design a site like this with WordPress.com
Get started