छ लोगों के ब्लॉगिंग (और उससे कुछ इतर भी) विचार


कल शाम हम छ लोग मिले बेंगळुरू में। तीन दम्पति। प्रवीण पाण्डेय और उनकी पत्नी श्रद्धा ने हमें रात्रि भोजन पर आमंत्रित किया था। हम यानि श्रीमती आशा मिश्र और उनके पति श्री देवेन्द्र दत्त मिश्र तथा मेरी पत्नीजी और मैं। प्रवीण पाण्डेय का सफल ब्लॉग है न दैन्यम न पलायनम। देवेन्द्र दत्त मिश्र काContinue reading “छ लोगों के ब्लॉगिंग (और उससे कुछ इतर भी) विचार”

ब्लॉगिंग और टिप्पणी प्रणाली की स्केलेबिलिटी (बनाम अमर्त्यता)


यह मेरी इस ब्लॉग पर 997वीं पोस्ट है। हजार के समीप होने पर विचार मन में आता है कि इस ब्लॉग के लिये किस प्रकार के यत्न मैने किये और किस प्रकार का नफा/आनन्द/किक मुझे मिला। यह ट्रांजियेण्ट फेज भी हो सकता है। इस समय कोहासे कि खिचिर खिचिर में मालगाड़ियां खचर खचर चल रहीContinue reading “ब्लॉगिंग और टिप्पणी प्रणाली की स्केलेबिलिटी (बनाम अमर्त्यता)”

नदी के और मन के लैगून


लैगून (lagoon)  को क्या कहते हैं हिन्दी में? कामिल-बुल्के में शब्द है समुद्रताल। समुद्र के समीप वह  उथला जल जो सब ओर से धरती से घिरा हो – वह लैगून है। इसी तरह नदी/गंगा का पानी पीछे हटते समय जो उथले जल के द्वीप बना देता है उसे लैगून कहा जायेगा या नहीं? मैं बहुधाContinue reading “नदी के और मन के लैगून”

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