“रुद्र” काशिकेय पर प्रथम टीप


अपनी मूर्खता पर हंसी आती है। कुछ वैसा हुआ – छोरा बगल में ढुंढाई शहर में!  राहुल सिंह जी की टिप्पणी थी टल्लू वाली पोस्ट पर – अपरिग्रही टल्‍लू ने जीवन के सत्‍य का संधान कर लिया है और आपने टल्‍लू का, बधाई। जगदेव पुरी जी से आपकी मुलाकात होती रहे। अब आपसे क्‍या कहेंContinue reading ““रुद्र” काशिकेय पर प्रथम टीप”

हिन्दी में पुस्तक अनुवाद की सीमायें


दो पुस्तकें मैं पढ़ रहा हूं। लगभग पढ़ ली हैं। वे कुछ पोस्ट करने की खुरक पैदा कर रही हैं। खुरक शायद पंजाबी शब्द है। जिसका समानार्थी itching या तलब होगा। पहली पुस्तक है शिव प्रसाद मिश्र “रुद्र” काशिकेय जी की – बहती गंगा। जिसे पढ़ने की प्रेरणा राहुल सिंह जी से मिली। ठिकाना बतायाContinue reading “हिन्दी में पुस्तक अनुवाद की सीमायें”

ट्विट ट्विट ट्वीट!


दीपक बाबा जी कहते हैं -  ज्ञानदत्त जी, आपके ब्लॉग पर तो ट्वीट चल रहा है ….. चार लाइन आप लिख देते हो बाकी ३०-४० टिप्पणियाँ जगह पूरी कर देती हैं. कुल मिला कर हो गया एक लेख पूरा. शायद बुरा मान जाओ ……… पर मत मानना ……. इत्ता तो कह सकते हैं. दीपक जीContinue reading “ट्विट ट्विट ट्वीट!”

Design a site like this with WordPress.com
Get started