अलाव तापता जवाहिरलाल, लोग और सबसे बायें खड़े पण्डाजी जवाहिरलाल को दो गर्म कपड़े दिये गये। एक जैकेट और दूसरा स्वेटर। ये देने के लिये हम इंतजार कर रहे थे। पैर के कांच लगने की तकलीफ से जवाहिरलाल लंगड़ा कर चल रहा था। दूर वैतरणी नाले के पास आता दिखा। उसे अपने नियत स्थान परContinue reading “अघोरी”
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जवाहिरलाल बीमार है
जवाहिरलाल गंगदरबारी(बतर्ज रागदरबारी) चरित्र है। कछार में उन्मुक्त घूमता। सवेरे वहीं निपटान कर वैतरणी नाले के अनिर्मल जल से हस्तप्रक्षालन करता, उसके बाद एक मुखारी तोड़ पण्डाजी के बगल में देर तक मुंह में कूंचता और बीच बीच में बीड़ी सुलगा कर इण्टरवल लेता वह अपने तरह का अनूठा इन्सान है। कुत्तों और बकरियों काContinue reading “जवाहिरलाल बीमार है”
देसी शराब
उस शाम सीधे घाट पर जाने की बजाय हम तिरछे दूर तक चले गये। किनारे पर एक नाव रेत में औंधी पड़ी थी। मैने उसका फोटो लिया। अचानक शराब की तेज गंध आई। समझ में आ गया कि उस नाव के नीचे रखी है देसी शराब। लगा कि वहां हमारे लिये कुछ खास नहीं है।Continue reading “देसी शराब”
