बड़वाह


प्रेमसागर के पैरों में चक्र है। सो अनवाइण्डिंग के दौरान भी बड़वाह के कई दर्शनीय स्थानों को देख आये। नर्मदा किनारे बसा बड़वाह एक नगरपालिका है, गांव नहीं। उसके आसपास चोरल और एक दो अन्य नदियां नक्शे में दिखती हैं। कई पौराणिक स्थल हैं इस नगरपालिका सीमा में और आसपास। कई चित्र प्रेमसागर ने बड़वाह भ्रमण के मेरे पास भेजे हैं।

ॐकारेश्वर जल अर्पण और बड़वाह


यहां ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण के साथ प्रेमसागर ने आंकड़े में 25 प्रतिशत यात्रा-ध्येय सम्पन्न कर लिया है। बारह में से तीन ज्योतिर्लिंग उन्होने पदयात्रा में देख लिये हैं। प्रिय-अप्रिय (लगभग प्रिय ही) अनुभव उन्हें हुये हैं।

प्रेमसागर के साथ लूट, ॐकारेश्वर से पहले


प्रेमसागर से मेरी लूट के पहले बात हुई थी डेढ़ बजे पर लोकेशन अपडेट नहीं हो रही थी। मैंने सोचा था कि शायद जंगल में नेटवर्क खराब होने यह होगा। पर दोपहर दो-तीन बजे यह हादसा हो गया होगा, यह कल्पना में भी नहीं था!

इंदौर में और फिर चोरल की ओर


आज सवेरे पांच बजे प्रेमसागर चोरल के लिये रवाना हुये। चोरल इंदौर के अतिथि गृह से 36 किलोमीटर दूरी पर है। शुरू के बाईस-चौबीस किलोमीटर मालवा के पठार पर हैं। उसके बाद नर्मदा घाटी प्रारम्भ होती है।

देवास से उज्जैन और उज्जैन में


पहले प्रतीक्षा में एक घण्टा बैठना पड़ा। फिर चार से पांच बजे के बीच महाकाल का सिंगार हुआ और उसके बाद एक घण्टा भस्म आरती। श्मसान की भस्म की आरती। छ बजे बाहर निकल कर उन्होने अपनी एक सेल्फी ली; यादगार के रूप में।

दौलतपुर से देवास


अच्छा लगा! यह रुक्ष कांवर यात्री मुझसे हास्य और विनोद का आदान-प्रदान करने की ओर खुला तो सही! आपसी सम्बंधों की बहुत सी बर्फ हम तोड़ चुके हैं। कई बार प्रेमसागर मुझसे झिड़की खा कर भी बुरा नहीं माने हैं। मेरी नसीहतें भले ही न मानी हों पूरी तरह; पर अवज्ञा का भाव कभी नहीं था। और अब यह हंसी ठिठोली – महादेव सही रूपांतरण कर रहे हैं अपने चेले का!