मोतलसिर से घाट पिपल्या तक – जहां हर नदी, हर मछेरा और हर महंत अपनी-अपनी परिक्रमा रचते हैं।


मोतलसिर में एक दिन और रुकने की बजाय सवेरे निकल लिये प्रेमसागर। दिन भर में करीब उन्नीस किलोमीटर चले। शाम घाट पिपल्या के एक नवलधाम आश्रम में डेरा जमाया। सवेरे मोतलसिर के पास नर्मदा घाट पर कुछ समय गुजारा। सूर्योदय के समय मन के विचार भी सिंदूरी थे। नर्मदा मां से पूछ रहे थे प्रेमसागरContinue reading “मोतलसिर से घाट पिपल्या तक – जहां हर नदी, हर मछेरा और हर महंत अपनी-अपनी परिक्रमा रचते हैं।”

कौन है इठलाती, बल खाती, नाचती नदी – नर्मदा या गंगा?


प्रेमसागर नर्मदा किनारे चल रहे हैं और मेरा काम उनका यात्रा मार्ग निहारना हो गया है। नक्शे में देखता हूं, नर्मदा सीधे नहीं चल रहीं, घुमावदार बल खाती चलती हैं। यही नर्मदा का सौंदर्य है जिसका बखान वेगड़ सौंदर्य की नदी नर्मदा में करते हैं? पुस्तक के प्रारम्भ में अमृतलाल वेगड़ जी कहते हैं –Continue reading “कौन है इठलाती, बल खाती, नाचती नदी – नर्मदा या गंगा?”

सुडानिया से मोतलसिर


जून 13 उनतीसवां दिन। श्रद्धालु मिलते गये, सूरजकुंड की थाह नहीं मिली, और लू ने प्रेमसागर को रोक दिया — फिर भी यात्रा रुकी नहीं कल 13 जून को सुडानिया से चल कर भारकच्छ पंहुचे प्रेमसागर। सवेरे पांच बजे सुडानिया के आश्रम से निकले थे। सवेरे एक सज्जन देवेश पटेल जी ने चाय पिलाई। चलतेContinue reading “सुडानिया से मोतलसिर”

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