द्वारकापुर गांव में गंगा किनारे पीपल का पेड़ मैं गांव गया। इलाहाबाद-वाराणसी के बीच कटका रेलवे स्टेशन के पास गांव में। मैने बच्चों को अरहर के तने से विकेट बना क्रिकेट खेलते देखा। आपस में उलझे बालों वाली आठ दस साल की लड़कियों को सड़क के किनारे बर्तन मांजते देखा। उनके बालों में जुयें जरूरContinue reading “गांव की ओर”
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शराब पर सीरियस सोच
प्रवीण जिस शराब के गंगा की रेती में दबाये जाने की बात कर रहे हैं, वह शायद अंग्रेजी शराब है। यहां शिवकुटी के माल्या-प्वाइण्ट पर डालडा के पीपों में शराब बनती/रेत में गाड़ी जाती और फिर नाव से ले जाई जाती है। यह चित्र बोरी से ढके कुछ पीपों का है जो नाव के पार्कContinue reading “शराब पर सीरियस सोच”
गति और स्थिरता
गति में भय है । कई लोग बहुत ही असहज हो जाते हैं यदि जीवन में घटनायें तेजी से घटने लगती हैं। हम लोग शायद यह नहीं समझ पाते कि हम कहाँ पहुँचेंगे। अज्ञात का भय ही हमें असहज कर देता है। हमें लगता है कि इतना तेज चलने से हम कहीं गिर न पड़ें।Continue reading “गति और स्थिरता”
