“वे लोग कह रहे थे भईया, क्या करोगे? इसे (मीनार को) तोड़ोगे? हम दीदी से बात करेंगे। रात में जहां रुकोगे तो हम सब मिलने आयेंगे।” – प्रेमसागर ने बताया कि उनके तेवर उग्र थे और भाषा धमकी वाली थी।
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नवद्वीप, समाजबाड़ी और मायापुर
प्रेमसागर ने मुझे बताया – “फोन पर पिताजी ने मायापुर के लॉज वाले से कहा कि मेरा लड़का है, तीर्थ यात्रा पर निकला है। कोई गलत काम नहीं कर रहा। उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। तब जा कर लॉज वालों ने कमरा दिया है।”
योगद्या शक्तिपीठ और नवद्वीप
उन्हें रात्रि गुजारने के लिये कोई स्थान नहीं मिला। वे इस उहापोह में थे कि क्या नवद्वीप जा कर चैतन्य महाप्रभु के जन्मस्थान का दर्शन करें या अपनी शक्तिपीठ यात्रा पर चलते रहें।
उन्होने बस से नवद्वीप जाने का निर्णय किया।
