गुड्डू मिश्र के अनुसार एक गुरू के निर्देश अनुसार यात्रा करनी चाहिये। गुरू और श्रद्धा के आधार पर यात्रा।
[…] घुमक्कड़ी के अपने अलग रोमांच हैं। अपना अलग तरीके का आनंद। प्रेमसागर शायद वह ले रहे हैं।
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कटरा-घुमा-सोहागी पहाड़ी और चाकघाट
चूना पत्थर की खदान से बड़े तालाब/झील बन गये हैं और उनमें पानी भी खूब जमा है। बड़ा सुंदर लगते हैंं ताल के वे चित्र। मन होता है कभी वहां का चक्कर लगाया जाये। :-)
रींवा से कटरा
रास्ता लम्बा था तो प्रेमसागर चलते ही रहे। लालगांव के पास कुछ सुरापान किये लोग उन्हें उन्हीं के यहां रुकने और रात गुजारने की जिद कर रहे थे। बकौल प्रेमसागर – बड़ी मुश्किल से उनसे जान छुड़ाई। :-)
