24 फरवरी 2023
तेईस-चौबीस की रात प्रेमसागर ने कटरा (घुमा) के राम मूरत पाण्डेय जी के यहां बिताई। आज उन्हें प्रयाग की ओर प्रस्थान करना था। अगला पड़ाव चाकघाट है। चाकघाट में वीरेंद्र सिंह जी के यहां डेरा मिलेगा। वीरेंद्र सिंह जी उनसे द्वादशज्योतिर्लिंग यात्रा में शहडोल में सम्पर्क में आये थे। उनका घर चाकघाट में पड़ता है। इस तरह प्रेमसागर को पुरानी यात्रा के सम्पर्क से सहायता मिल रही है।
आज की यात्रा कुल बीस किमी की है। सो प्रेमसागर देर से रवाना हुये राम मूरत जी के घर से। राम मूरत जी के बारे में बताया कि वे बड़े किसान हैं। उनका बहुत सा समय समाज की सेवा में जाता है। लोगों की सहायता में इतने लीन रहते हैं कि उनकी पत्नीजी का कहना है वे घर परिवार पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते। सामाजिक व्यक्ति हैं तो अपने परिवेश के बारे में अच्छी जानकारी रखते होंगे। मेरा विचार एक बार हुआ कि राममूरत जी से ट्रेवलॉग के लिये सामग्री जुटाने हेतु बातचीत की जाये। पर वह हुआ नहीं। आगे शायद कभी हो।



सोहागी पहाड़ का घाट सेक्शन
घुमा के पास ही है सोहागी गांव और सोहागी पहाड़ी। यात्रा के दौरान सोहागी पहाड़ी के घुमावदार रास्ते के कुछ अच्छे चित्र प्रेमसागर ने भेजे हैं। मैंने सोहागी को गूगल सर्च पर छाना। पहले यह सड़क खराब थी पर विगत कुछ वर्षों में बहुत शानदार बन गयी है। पहाड़ी, घुमावदार सड़क। पर्वत और घाटी का दृश्य। यहां गिट्टी (बैलास्ट) और चूने के पत्थर की माइनिंग भी होती है। एक खबर यह भी पढ़ी कि मध्यप्रदेश शासन ने हीरे की खोज के लिये पट्टे भी नीलाम किये हैं।



चूना खनन से बने ताल
चूना पत्थर की खदान से बड़े तालाब/झील बन गये हैं और उनमें पानी भी खूब जमा है। बड़ा सुंदर लगते हैंं ताल के वे चित्र। मन होता है कभी वहां का चक्कर लगाया जाये। 🙂
सोहागी पहाड़ के घाट सेक्शन के बारे में सर्च के दौरान ढेरों न्यूज आईटम दिखे जिनमें इस खण्ड की सड़क दुर्घटनाओं की खबरें हैं। कुछ दुर्घटनायें तो भीषण हैं। सड़क बेहतर होने पर भी दुर्घटनायें तो होती ही हैं। और उनमें हताहतों की संख्या भी काफी है।

दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों के बारे में मैंने कहीं पढ़ा कि दुर्घटना की भीषणता के दो प्रमुख घटक हैं – भ्रष्टाचार और गरीबी। लम्बी दूरी के चालक बिना पर्याप्त आराम के चलते हैं। उसमें उनकी विपन्नता की मजबूरी हो सकती है। इसके अलावा आरटीओ के दफ्तर अपनी उगाही की बजाय वाहनों की ओवरलोडिंग, चालकों का शराब के नशे में वाहन चलाना, बसों की जर्जर दशा और उनमें यात्रियों को ठूंस कर भरने का लोभ, वाहन चलाते समय ईयरफोन लगा गाना सुनने या फोन पर बातचीत करने की आदत पर कम से कम घाट सेक्शंस में ज्यादा ध्यान देना चाहिये। सड़क अच्छी होने पर ओवरस्पीडिंग की प्रवृत्ति भी बनने लगती है। उसपर भी जगह जगह स्पीड सेंसर लगा कर काबू पाया जाना जरूरी है।

प्रेमसागर दोपहर में ही चाकघाट पंहुच गये होंगे। देर शाम मैंने उनके भेजे चित्र देखे। सुंदर थे चित्र। उनसे बातचीत भी हुई। कल वे थोड़ा देर से निकलेंगे जिससे सवेरे डेरा से एक-दो किमी दूर टौंस नदी का अच्छे से चित्र ले सकें। टौंस या तमसा नदी आगे जा कर पनासा के पास गंगाजी में मिलती है। इसमें बहुत पानी देखा है मैंने। कल उनके चित्रों से पता चलेगा कि क्या दशा है नदी की।
ॐ मात्रे नम:!
प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
दिन – 34 कुल किलोमीटर – 1244 मैहर। अमरपाटन। रींवा। कटरा। चाकघाट। प्रयागराज। विंध्याचल। कटका। वाराणसी। जमानिया। बारा। बक्सर। बिक्रमगंज। दाऊदनगर। करसारा। गया-वजीरगंज। नेवादा। सिकंदरा। टोला डुमरी। देवघर। तालझारी। दुमका-कुसुमडीह। झारखण्ड-बंगाल बॉर्डर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। फुल्लारा और कंकालीताला। नलटेश्वरी। अट्टहास और श्री बहुला माता। उजानी। क्षीरसागर/नवद्वीप। |