आस्था बनी रहे परस्पर – एक मोनोलॉग!


अभय ने ब्लॉग के फुल फीड की बात की परसों और मैने निर्णय लेने में समय नहीं लगाया। फीडबर्नर में खट से समरी फीड को डी-एक्टीवेट कर दिया। पर मैं अभय तिवारी से कहता हूं कि वह धन और उसकी दिव्यता के विषय में विचार बदलें। वह जवान सुनता ही नहीं। पंकज अवधिया जी नेContinue reading “आस्था बनी रहे परस्पर – एक मोनोलॉग!”

सिनिकल हो रहा हूं क्या?


उम्र के साथ सिनिसिज्म (cynicism – दोषदर्शन) बढ़ता है? सामान्यत: हां। इस पर बहुत पढ़ा है। अब तो जिन्दगी फास्ट पेस वाली होने लगी है। लोग अब पैंतालीस की उम्र में सठियाने लगेंगे। नया मोबाइल, नया गैजेट, नया कम्प्यूटर इस्तेमाल करने में उलझन होगी तो कम उम्र में भी असंतोष और उससे उत्पन्न सिनिसिज्म गहरानेContinue reading “सिनिकल हो रहा हूं क्या?”

भर्तृहरि, उज्जैन, रहस्यमय फल और समृद्धि-प्रबन्धन


देखिये, हमें पूरा यकीन है कि हमें हिन्दी में कोई जगह अपने लिये कार्व-आउट (carve-out) नहीं करनी है। बतौर ब्लॉगर या चिठेरा ही रहना है – चिठ्ठाकार के रूप में ब्लॉगरी की स्नातकी भी नहीं करनी है। इसलिये अण्ट को शण्ट के साथ जोड़ कर पोस्ट बनाने में हमारे सामने कोई वर्जना नहीं है। सोContinue reading “भर्तृहरि, उज्जैन, रहस्यमय फल और समृद्धि-प्रबन्धन”

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