शिवकुटी का श्रावण का मेला कल है। शुक्लपक्ष की अष्टमी को होता है। कल से कोटेश्वर महादेव मन्दिर के तिकोनिया पार्क में झूला लगाने वाले अपना सामान – टेण्ट ले कर आ गये हैं। आज उन्हे सवेरे खुले में सोते देखा। अभी दुकाने नहीं लगी हैं। दूसरे, परसों से बढ़ रही गंगाजी में आज औरContinue reading “शिवकुटी के मेले की तैयारी”
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"खाइ भरे के पाई ग हई (खाने भर को मिल गया है)"
चार दिन पहले गंगा उफन रही थीं। बहाव तेज था और बहुत सी जलकुम्भी बह कर आ रही थी। बढ़ती गंगा में आसपास के ताल तलैयों, नहरों नालों की जलकुम्भी बह कर आने लगती है। वैसा ही था। खबरें भी थीं गंगा और उत्तर की अन्य कई नदियों में उफान की। किनारे एक धतूरे काContinue reading “"खाइ भरे के पाई ग हई (खाने भर को मिल गया है)"”
कछार की पहली तेज बारिश के बाद
रात में बारिश बहुत हुई। सवेरे आसमान में बादल थे, पर पानी नहीं बरस रहा था। घूमने निकल गया। निकला जा सकता था, यद्यपि घर से गंगा घाट तक जाने कितने नर्क और अनेक वैतरणियाँ उभर आये थे रात भर में। पानी और कीचड़ से पैर बचा कर चलना था। घाट की सीढ़ियों के पासContinue reading “कछार की पहली तेज बारिश के बाद”
