<<< मचान के देखुआर अनूप सुकुल >>> कल अनूप शुक्ल जी, सपत्नीक मिलने आये। हम लोग हिंदी ब्लॉगिंग के स्वर्णकाल (?) से मित्र हैं। मेरी उनसे मुलाकात सतरह साल पहले कानपुर रेलवे स्टेशन के एक रेस्ट हाउस में हुई थी। मैं उनके लेखन का मुरीद हूं। पता नहीं वे यह भाव रेसीप्रोकेट करते हैं याContinue reading “मचान के देखुआर अनूप सुकुल”
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कल्पना में रेल कथा
<<< कल्पना में रेल कथा >>> मैं मचान पर बैठता हूं तो आधा किलोमीटर दूर रेलवे फाटक से गुजरती ट्रेने देख मेरे अतीत से प्रेरित; पॉपकॉर्न की तरह, कथायें फूटने लगती हैं। कुछ इस तरह लगता है कि मैं अर्धनिद्रा में चला गया हूं और केलिडोस्कोप में सीन-प्लॉट-पात्र-घटनायें बन बिगड़ रहे हैं। जमीन से सातContinue reading “कल्पना में रेल कथा”
15 दिसम्बर – छोटी पोस्टें
#कड़ेप्रसाद फिर हाजिर थे। मूंग की नमकीन लिये थे। साथ में गुड़हवा लेडुआ भी था। बताया कि लेडुआ हिट हो गया है। पचास किलो तक निकल जा रहा है। पांच दस किलो तो स्कूल में मास्टराइनें ही ले ले रही हैं। इतनी जल्दी फिर आने का कारण मुझे समझ आया कि लेड़ुआ हिट होने परContinue reading “15 दिसम्बर – छोटी पोस्टें”
