दस हजार कदम से ज्यादा चलना


*** दस हजार कदम से ज्यादा चलना *** जब 2015 के उत्तरार्ध में रिटायर हुआ था तो मैं पैदल नहीं चल पाता था। सौ दो सौ कदम चलने पर घुटनों में दर्द होने लगता था। रेलवे के हमारे डाक्टर साहब ने मुझे सलाह दी थी कि पैदल चलने की बजाय साइकिल चलाऊं। जितनी देर पैदलContinue reading “दस हजार कदम से ज्यादा चलना”

टहनियों की छंटाई


*** टहनियों की छंटाई *** सुग्गी के लड़के हैं – गोविंद और राजा। गोविंद बीस-इक्कीस का होगा और राजा उससे दो-तीन साल छोटा। दोनो ने मिल कर मेरे घर के सागौन और पलाश के उन टहनियों को छांटा जो सूरज की रोशनी रोकती थीं। मौसम बदलने की अपनी जरूरते हैं। गर्मी में हमें छाया चाहिये।Continue reading “टहनियों की छंटाई”

रेल यात्रा का भय


सवेरे चार बजे नींद खुलने का समय होता है। आमतौर पर नींद एक सुखद अहसास के साथ खुलती है। आज वह एक (दु:) स्वप्न के साथ खुली। भोर के सपने में देखा कि मैं प्लेटफार्म पर खड़ा हूं। ट्रेन लगी है और मुझे यह भी नहीं याद कि किस ट्रेन में किस कोच में मुझेContinue reading “रेल यात्रा का भय”

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