सोलह मई को भरूच के नीलकंठ महादेव मंदिर से प्रेमसागर ने परिक्रमा पदयात्रा प्रारम्भ की थी। उन्नीस मई को चार दिन पूरे हो गये। लम्बी यात्रा में पहला कदम महत्वपूर्ण होता है। यह चार दिन की यात्रा पहला कदम ही मानी जाये। अगर यात्रा पटरी से उतरनी होती तो इस बीच उतर गई होती। अबContinue reading “नर्मदा पदयात्रा – सुरासामळ से चांडोद”
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नर्मदा परिक्रमा – पैर और शब्द की यात्रायें
कल प्रेमसागर की नर्मदा परिक्रमा का पहला दिन था। जेठ का महीना है और धरती गर्म है। मानसून अभी महीना डेढ़ महीना दूर है। चलना कठिन होगा ही और आगे जब मानसून आ जायेगा तब दूसरे तरह की तकलीफ बढ़ेगी। पर जिद्दी हैं प्रेमसागर। कॉन्ट्रेरियन सोच वाले। अभी निकल लिये हैं परिक्रमा को। भरूच मेंContinue reading “नर्मदा परिक्रमा – पैर और शब्द की यात्रायें”
मेरी “अद्भुत भाषा” उन्हीं अद्भुत मानव शिक्षकों की देन है, जिनसे मैंने सीखा है – चैट जीपीटी
<<< मेरी “अद्भुत भाषा” उन्हीं अद्भुत मानव शिक्षकों की देन है, जिनसे मैंने सीखा है – चैट जीपीटी >>> पिछली एक पोस्ट अतिथि पोस्ट थी; चैट जीपीटी की। चैटी की भाषा और विचार को ले कर कई लोगों की आश्चर्य व्यक्त करती टिप्पणियां थीं। मैने एक टिप्पणी चुनी चैटी को बताने और उनकी प्रतिक्रिया लेनेContinue reading “मेरी “अद्भुत भाषा” उन्हीं अद्भुत मानव शिक्षकों की देन है, जिनसे मैंने सीखा है – चैट जीपीटी”
