ललही छठ के दिन ढोल ताशा


ये ढोल है और वो ताशा। उसने मुझे इस प्रकार से उत्तर दिया मानो उम्रदराज होने पर भी जनरल नॉलेज में तंग होने वाले व्यक्ति पर उसे आश्चर्य/तरस हो।

संतोष गुप्ता की गांवदेहात में डिजिटल सर्विस


5-7 साल में जो डिजिटल विस्फोट हुआ है – गांवदेहात के स्तर पर भी; वह अभूतपूर्व है। गांवों की डिजिटली निरक्षर जनता की पटरी डिजिटल सुविधाओं से बिठाने के लिये संतोष गुप्ता जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है।

भरसायँ, जगरन और कंहारों की चर्चा


कंहारों का पुश्तैनी पेशा कुंये से पानी खींचना, तालाब से गाय-गोरू के लिये पानी लाना, पालकी ढोना और दाना भूनने के लिये भरसाँय जलाना है। इनमें से कई काम बदलती तकनीक ने उनसे छीन लिये हैं।

Design a site like this with WordPress.com
Get started