घर परिसर में वनस्पति और जीव, रंग और गंध, समय के साथ उनकी वृद्धि और बदलाव – कितना कुछ है जिसे देखा-महसूसा जा सकता है। उसके लिये इन पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने की आवश्यकता नहीं कि यह हिंदू जीवन धारा है या बौद्ध-जेन।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
घर परिसर में वनस्पति और जीव, रंग और गंध, समय के साथ उनकी वृद्धि और बदलाव – कितना कुछ है जिसे देखा-महसूसा जा सकता है। उसके लिये इन पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने की आवश्यकता नहीं कि यह हिंदू जीवन धारा है या बौद्ध-जेन।