कव्वे भी पास आने लगे हैं। पहले वे नीम के पेड़ के नीचे अपनी चोंच में खूब सारे रोटी के टुकड़े समेट भाग जाया करते थे। अब वे हमारी कुर्सी के पास नमकीन चुगने लगे हैं। चरखी और मैंना की अपेक्षा वे ज्यादा सतर्क रहते हैं।
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रिटायर्ड जिन्दगी की सुबह
रिटायर्ड जिन्दगी की एड-हॉक सुबह कैसी होती है। दूध के गिलास से शुरू होती चाय जैसी।