कई दिन हो गये हैं; पर रॉबिन उस चिड़ियाघर को झांकने भी नहीं आयी। अब शायद अगले साल ही लौटने की सोचे।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
कई दिन हो गये हैं; पर रॉबिन उस चिड़ियाघर को झांकने भी नहीं आयी। अब शायद अगले साल ही लौटने की सोचे।