परिवार और समाज कितनी भी ऐंठ दिखा ले; वह आधुनिकता, बाजार की ताकत और सरकारों द्वारा किये गये व्यक्ति के एम्पावरमेण्ट और इन सब से ऊपर विश्व स्तर पर नौजवान और नवयुवतियों की मोबिलिटी के सामने हाँफ रहा है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
परिवार और समाज कितनी भी ऐंठ दिखा ले; वह आधुनिकता, बाजार की ताकत और सरकारों द्वारा किये गये व्यक्ति के एम्पावरमेण्ट और इन सब से ऊपर विश्व स्तर पर नौजवान और नवयुवतियों की मोबिलिटी के सामने हाँफ रहा है।