सरवा में रामदेव पीर बाबा के आज के मुकाम पर पंहुचने के पहले बुरा हुआ उनके साथ। रास्ता खराब था। सड़क पर गिट्टी उधड़ी हुई थी और बबूल के कांटे भी थे। एक जगह बबूल के कांटे चुभ गये पैर में।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
सरवा में रामदेव पीर बाबा के आज के मुकाम पर पंहुचने के पहले बुरा हुआ उनके साथ। रास्ता खराब था। सड़क पर गिट्टी उधड़ी हुई थी और बबूल के कांटे भी थे। एक जगह बबूल के कांटे चुभ गये पैर में।