शाम के समय प्रेमसागर का मैसेज था। एक टेम्पू वाला साइड से उन्हें धक्का मारते चला गया था। धक्का लगा तो गिर गये। चोटें आईं। खुद उठने का प्रयास करते तब तक बगल की दुकान से एक नौजवान दौड़ कर आये। उन्होने उठाया।
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नवगछिया के आगे मिले गरुड़ जी
सन 2005 में जंगलराज खत्म होने के बाद थोड़ा माहौल बदला। तब जा कर इस पक्षी की मौजूदगी की भनक लगी ! 2006 में मन्दार नेचर क्लब ने इस पर रिपोर्ट भेजी। लोगो को जागरूक और भावुक करने के लिए इसे गरुड़ महाराज का नाम दिया।
गंगा से कोसी – 2
“आस्था है भईया लोगों में। गाय-भैंस ब्याने पर पहला दूध गंगा माई को चढ़ाने ले जाते हैं। कुछ लोग तो बाबाधाम जा कर बैजनाथ जी को चढ़ाते हैं। इनकी बड़ी मानता है। लोग उन्ही से मनौती मानते हैं। उन्हीं की किरपा मानते हैं।”
