17 अप्रेल 2023
शाम के समय प्रेमसागर का मैसेज था। एक टेम्पू वाला साइड से उन्हें धक्का मारते चला गया था। अपनी पदयात्रा में वे पूर्णिया तक पंहुचे थे। धक्का लगा तो गिर गये। चोटें आईं। खुद उठने का प्रयास करते तब तक बगल की दुकान से एक नौजवान दौड़ कर आये। उन्होने उठाया। कंधे को सहारा दे कर अपनी दुकान में ले गये। मैडीकल की दुकान थी उनकी।
बगल की दुकान से पानी की बोतल मंगा कर पानी पिलाया। फिर पूरे शरीर का मुआयना किया। पाया कि और हिस्से में तो खरोंच ही लगी है पर पैर में चोट ज्यादा गहरी है। डेटोल से उन्होने सब साफ किया। पट्टी किया और दो इंजेक्शन दिये। एक टिटनेस का और दूसरा दर्द कम करने के लिये। दुकान में ही आराम करने को कहा।

प्रेमसागर ने उनका फोटो लेना चाहा। पहले मना करते रहे। फिर मान गये। प्रेमसागर ने अमरदीप जी के यहां खबर नहीं की। वे लोग परेशान हों और दौड़ लगायें, यह वे नहीं चाहते थे। वही दुकान वाले नौजवान उन्हें बस में बैठाये।
प्रेमसागर ने पैसे देने की बात की। पर उस नौजवान ने मना कर दिया। बोला – “बाबा, आप तो पूजा पाठ करते हैं हमेशा। हमें भी अपनी इबादत करने दें।”
“भईया, मैंने उनका नाम पूछा तो एकबारगी सन्न रह गया। बताये मुहम्मद रिजवान आलम। भईया, इस वाली और पहले ज्योतिर्लिंग वाली पदयात्रा में तीन ही बार मुसलमान लोगों से मुलाकात हुई थी। पहले मध्य प्रदेश में राह चलते एक मुसलमान सज्जन मुन्ना खान जी ने बुला कर बिठाया था और चाय पिलाई थी। दूसरी बार पाण्डुआ में भीड़ ने मुझे धमकाया था। और तीसरे ये मुहम्मद रिजवान जी। ये तो देवदूत ही थे।”

मैंने प्रेमसागर से पूछा – “रिजवान जी का फोन नम्बर लिया है?”
“पूछा था भईया, पर बोले कि फोन नम्बर का क्या करेंगे बाबा? वे तो फोटो खिंचाने को भी तैयार नहीं हो रहे थे। वे धरम-करम के पक्के हैं। बताये कि पांच बार नमाज पढ़ते हैं। मस्जिद नहीं, दुकान में ही पढ़ते हैं। सेवा को वे भगवान की इबादत बता रहे थे। उनकी जगह कोई और होता तो शायद मेरा भेस देख कर सहायता नहीं करता।” – प्रेमसागर ने बताया।
चोट लगने पर यात्रा वहीं रुक गयी, वर्ना प्रेमसागर का इरादा पूर्णिया के आगे आठ दस किमी और चलने का था। पर इतनी भी यात्रा कम नहीं 36-37 किमी चले ही होंगे वे। रिजवान जी की सहायता से बेहतर महसूस कर रहे हैं। कल शायद फिर निकलना हो।
पैर ही उनके यन्त्र हैं और उन्हीं में चोट है। फिर भी पदयात्रा के मामले में प्रेमसागर ढीठ टाइप जीव हैं। कल देखें क्या होता है।

आज की यात्रा में कुछ और विवरण भी दिये प्रेमसागर ने, पर इस देवदूत – रिजवान जी – के आगे वह ट्रीवियल बातें लिखने का मन नहीं है।
हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:।
प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
दिन – 83 कुल किलोमीटर – 2760 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे। |