कछुआ और खरगोश की कथा – नये प्रसंग


कछुआ और खरगोश की दौड़ की कथा (शायद ईसप की लिखी) हर व्यक्ति के बचपन की कथाओं का महत्वपूर्ण अंग है. यह कथा ये सन्दर्भ में नीचे संलग्न पावरप्वाइण्ट शो की फाइल में उपलब्ध है. इसमें थोड़ेथोड़े फेर बदल के साथ कछुआ और खरगोश 4 बार दौड़ लगाते हैं और चारों बार के सबक अलगअलग हैं.

कुछ वर्षों पहले किसी ने मेल से यह फाइल अंग्रेजी में प्रेषित की थी. इसके अंतिम स्लाइड पर है कि इसे आगे प्रसारित किया जाये. पर यह संतोषीमाता की कथा की तरह नहीं है कि औरों को भेजने से आपको फलां लाभ होगा अन्यथा हानि. यह प्रबन्धन और आत्म विकास से सम्बन्धित पीपीएस फाइल है. इसमें व्यक्तिगत और सामुहिक उत्कष्टता के अनेक तत्व हैं.

बहुत सम्भव है कि यह आपके पास पहले से उपलब्ध हो. मैने सिर्फ यह किया है कि पावरप्वाइण्ट का हिन्दी अनुवाद कर दिया है, जिससे हिन्दी भाषी इसे पढ़ सकें.

आप नीचे के चिन्ह पर क्लिक कर फाइल डाउनलोड कर सकते हैं. हां; अगर डाउनलोड कर पढ़ने लगे, तो फिर टिप्पणी करने आने से रहे! :)

खैर, आप डाउन लोड करें और पढ़ें यही अनुरोध है.


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

13 thoughts on “कछुआ और खरगोश की कथा – नये प्रसंग

  1. प्रभु, कल हमने पुन: टिपियाया नही उसके लिए क्षमा!स्लाईड शो बहुत ही शानदार है!!आज हमने अपने चारों भतीजों को लाईन से खड़ा कर के यह स्लाईड शो दिखाया और अपने सभी मित्रों को ई-मेल में भेज भी रहे हैं!!शुक्रिया!!

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  2. बढ़िया कहानी है। कोर कम्पीटेंस और टीम भावना वाली बात सही है। लेकिन आम तौर पर रात गयी, बात गयी की तरह हो जाती है। पूरा देखने के बाद टिपिया रहे हैं। लौटकर। यह हमारी कोर कम्पीटेंसी है!:)

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  3. भाई साहब, ४० वीं स्लाईड में जाकर दिखा कि निचोड़ यह है….तब तक हमारा ही निचोड़ निकल गया.-वैसे है बेहतरीन ज्ञान और उस पर आलोक जी ज्ञान भी ध्यान देने योग्य है. :)–वो तो समझो हमारे जैसा जुझारु टिप्पणीकार है जो ४१ स्लाईड देखने के बाद बैठा टिपिया रहा है.

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