शिव कुमार मिश्र ने मुझे एस.एम.एस. किया है कि कल रात एक गायन प्रतियोगिता में बप्पी लाहिड़ी ने एक प्रतियोगी से कहा – यू आर ए फ़िनिश्ड सिन्गर. और फ़िर हिन्दी में जोड़ा – तुम बहुत जल्दी फ़ेमस बनेगा. इसका हिन्दी अनुवाद करें तो कुछ ऐसा होगा – तुम तो बिल्कुल खतम गायक हो औरContinue reading “आप तो बिल्कुल खतम आदमी हैं!”
Monthly Archives: Jun 2007
एथेनॉल चलायेगा कार – आपकी जीत होगी या हार!
मुझे यह आशा है कि देर सबेर ब्राजील की तर्ज पर भारत में एथेनॉल का प्रयोग डीजल/पेट्रोल ब्लैण्डिंग में 20-25% तक होने लगेगा और उससे न केवल पेट्रोलियम पर निर्भरता कम होगी, वरन उससे पूर्वांचल/बिहार की अर्थव्यवस्था भी चमकेगी. अभी चार दिन पहले बिजनेस स्टेण्डर्ड में लीड स्टोरी थी कि कई बड़े स्टॉक मार्केट केContinue reading “एथेनॉल चलायेगा कार – आपकी जीत होगी या हार!”
फिर हिन्दी पर चलने लगे तीर (या जूते!)
‘हिंदी एक बीमार भाषा है। क्योंकि इसका मुल्क बीमार है। अस्सी फीसदी नौजवान हाथ बेकार हैं। प्रोफेसर और दूसरे कमाने वालों को बैंक का ब्याज चुकाना है, वे ट्यूशन पढ़ा रहे हैं, कमाई का अतिरिक्त ज़रिया खोज रहे हैं। वे क्यों पढ़ेंगे किताब? आपकी किताब उन्हें दुष्चक्र से बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिखा रही।‘Continue reading “फिर हिन्दी पर चलने लगे तीर (या जूते!)”
आपको कौन लिंक कर रहा है?
यह कई बार होता है कि आप वहां नहीं पहुंचते जहां आपके ब्लॉग को लिंक कर कुछ कहा जा रहा हो. आपको ट्रिगर ही नहीं मिलता. उदाहरण के लिये मैने यूनुस पर एक पोस्ट लिखी – नाई की दुकान पर हिन्दी ब्लॉगर मीट. उनके ब्लॉग को लिंक किया. प्रतीक्षा की कि यूनुस देखने आयेंगे औरContinue reading “आपको कौन लिंक कर रहा है?”
मुझे बिग-बाजार में क्या गलत लगता है?
मैं किशोर बियाणी की पुस्तक पढ़ रहा हूं – “इट हेपण्ड इन इण्डिया.”* यह भारत में उनके वाल-मार्टिया प्रयोग का कच्चा चिठ्ठा है. कच्चा चिठ्ठा इसलिये कि अभी इस व्यवसाय में और भी कई प्लेयर कूदने वाले हैं. अंतत: कौन एडमण्ड हिलेरी और तेनसिंग बनेंगे, वह पता नहीं. पर बियाणी ने भारतीय शहरों में एकContinue reading “मुझे बिग-बाजार में क्या गलत लगता है?”
कुछ सफल और आत्म-मुग्ध (हिन्दी ब्लॉगर नहीं) लोग!
मेरा लोगों से अधिकतर इण्टरेक्शन ज्यादातर इण्टरकॉम-फोन-मीटिंग आदि में होता है. किसी से योजना बना कर, यत्न कर मिलना तो बहुत कम होता है. पर जो भी लोग मिलते है, किसी न किसी कोण से रोचक अवश्य होते हैं. अधिकतर लोग मेरे मुख्यालय में सोमवार की महाप्रबन्धक महोदय की रिव्यू मीटिंग में मिलते हैं. येContinue reading “कुछ सफल और आत्म-मुग्ध (हिन्दी ब्लॉगर नहीं) लोग!”