जोड़ों के दर्द में लाभप्रद वनस्पतीय प्रयोग


55 यह श्री पंकज अवधिया, वनस्पति और कृषि शास्त्री की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। आप उनका हिन्दी में लेखन उनके ब्लॉग मेरी कविता और हमारा पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान पर पढ़ सकते हैं। आज वे जोड़ों के दर्द पर वनस्पतीय प्रयोग की चर्चा कर रहे हैं। मेरे ब्लॉग पर उनके लेख आप पंकज अवधिया लेबल पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।  


प्रश्न: जोड़ों के दर्द से परेशान हूँ। कई उपाय किये पर सफलता कम ही मिली। ऐसी वनस्पति सुझायें जिसे कि भोजन के रूप मे या भोजन के साथ प्रयोग किया जा सके।

उत्तर: आपके प्रश्न के लिये धन्यवाद। हमारी पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियो मे जोड़ों के दर्द के लिये बहुत सी वनस्पतियाँ सुझायी गयी है। पर इन सब का प्रयोग उतना आसान नही है जितना कि लगता है। यही कारण है कि जब हम अपने मर्जी या अकुशल विशेषज्ञ के मार्गदर्शन मे इनका प्रयोग करते है तो सफलता नही मिलती है। फिर हमारे मन की चंचलता भी प्रेरित करती है कि हम जल्दी-जल्दी दवा बदलें। किसी भी दवा के प्रयोग मे जल्दी का रवैया नुकसान दायक हो सकता है।

Hadjod1 आपने तो सुना ही होगा कि वनस्पतियाँ बोलती हैं। जी, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। वनस्पतियाँ बोलती हैं और स्वयम बताती हैं कि वे किस रोग मे उपयोगी हैं। वनस्पतियाँ विशेष लोगो से नही बोलती हैं। सभी उनको सुन सकते हैं यदि सुनना चाहें तो। हड़जोड़ नामक वनस्पति भी बोलती है। आप पोस्ट पर प्रस्तुत दोनो चित्र देखे। इसके माँसल तने आपको मानव अस्थि की तरह दिखेंगे। यह वनस्पति इन माँसल तनों के माध्यम से यह बताती है कि अस्थि और जोड़ सम्बन्धी रोगो में इसकी उपयोगिता है। Hadjod2 रोग की जटिल अवस्था में इसके प्रयोग के लिये विशेषज्ञ की सलाह चाहिये पर आरम्भिक अवस्था मे इसके साधारण प्रयोग से जोड़ों के दर्द से न केवल मुक्ति पायी जा सकती है बल्कि इससे बचा भी जा सकता है। प्रयोग आसान है।

आप सब ने चावल से बना चीला तो खाया ही होगा। देश के अलग-अलग हिस्सो मे अलग-अलग प्रकार का चीला बनता है। आपको किसी भी प्रकार के चीले को बनाते समय इसके तने की दो सन्धियो के बीच के आधे भाग को कुचलकर घोल मे मिला लेना है और फिर यह विशेष चीला बनाकर खाना है। चलिये यदि आपके लिये चीला नया शब्द है तो इसके टुकडो को सूजी (रवे) या आटे के हलवे मे मिला कर उपयोग कर ले। सप्ताह मे छुट्टी के दिन एक बार इसे खायें। यह निश्चित ही लाभ करेगा। रोज या दिन मे कई बार मन से खाने का प्रयोग न करें।

देश के वे पारम्परिक चिकित्सक जो कि टूटी हड्डियो को जोड़ने मे माहिर हैं वे अन्य वनस्पतियों के साथ इसका बाहरी प्रयोग करते हैं। आधुनिक अनुसन्धान बताते हैं कि इसमे कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। पर इसके अलावा भी इसमें बहुत कुछ ऐसा होता है जिसके बारे मे आधुनिक विज्ञान जानने की कोशिश कर रहा है। हाल ही मे इसके एक अनोखे ग़ुण के आधार पर एक अमेरीकी पेटेण्ट सामने आया है। विशेषज्ञों ने पाया है कि यदि आप मनमर्जी वसा (फैट) खाने के बाद इसके विशेष तत्व को खा लें तो वसा शरीर मे रूके बिना मल के साथ बाहर निकल जाता है। यह तो मोटे और पेटू लोगों के लिये वरदान से कम नही है। भारत के पारम्परिक चिकित्सक इस बात को पहले से जानते थे पर जब हमारे देश में उनकी ही कद्र नही है तो उनके ज्ञान की कद्र कौन करेगा? नतीजा यह कि अब हमारे ज्ञान के लिये हमे पैसे खर्चने होंगे।

आप इस वनस्पति को आसानी से बागीचे मे लगा सकते हैं। मैने अपने घर मे आम के पेड के सहारे इसे लगाया है। यह प्रश्न का उत्तर लम्बा होता जा रहा है। पर कुछ दिनो पहले हड़जोड़ पर मैने लगातार आठ घंटे का व्याख्यान दिया। आप इससे अन्दाज लगा ही सकते है इसके विषय मे हमारे देश मे उपलब्ध समृध्द ज्ञान का।

हड़जोड़ विषयक इकोपोर्ट पर मेरे लेख आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

पंकज अवधिया

© इस पोस्ट के लेख और चित्रों पर कॉपीराइट पंकज अवधिया का है।


1. पंकज अवधिया जी की फोटो और नाम उनके द्वारा दिये हड़जोड़ के चित्रों पर बतौर वाटर मार्क लगाये हैं। फ्री ऑफलाइन जुगाड़मेण्ट है यह सॉफ्टवेयर। इण्टरनेट से डाउनलोड किया हुआ। आपको मालूम है यह जुगाड़?!Wave Vivek Sahai

2.  श्री विवेक सहाय, उत्तर-मध्य रेलवे के नये महाप्रबंधक आज सवेरे इलाहाबाद पंहुच जायेंगे। मैने पिछले कई दिनों से सनसनी देखी है – उत्तर-मध्य रेलवे के अधिकारियों के बीच। श्री सहाय से इण्टरेक्शन की प्रक्रिया, जो आज प्रारम्भ होगी, स्पष्ट करेगी कि लोग अपनी बेल्ट कितनी कसेंगे। कसेंगे जरूर। पिछले नवम्बर माह में वे इलाहाबाद आये थे तो उतरते ही पॉवर केबिन के निरीक्षण को बड़ी तेजी से चल कर गये थे। उस समय कुछ अधिकारी उनके साथ कदम मिलाने में अपनी सांस फुला बैठे थे! 


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

12 thoughts on “जोड़ों के दर्द में लाभप्रद वनस्पतीय प्रयोग

  1. पंकज जी नमस्कार ,आप ने जो हड़जोड़ के बारे मै रोचक अवाम महत्वपूर्ण जानकारी दी उसके लिए धन्यवाद ! लेकिन मै थोडा असमजस्य मै हूँ क्योंकि हद्जोदी की अब तक मैंने 6 किस्मे देखि हैं जैसे बिना धार (पोर ) वाली ३ ,२, और ४ धरी (पोर) वाली और एक अन्घुठे से मोटी ३, ४ पोर वाली . आप ने जी जोइंट पैन के लिए हद्जोदी बताई है इन मै से कौन सी है कृपया बटने का कास्ट करें

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  2. आप सब की टिप्पणियो के लिये आभार। इन दिनो बडी दुविधा मे हूँ। एक ओर पाठको की स्वास्थ्य समस्याओ की सूची बढती जा रही है दूसरी ओर कैसे ऐसी रोचक जानकारी प्रस्तुत की जाये जिससे यह पोस्ट अधिक से अधिक पाठको के लिये उपयोगी हो सके यह भी सोचना पड रहा है। सभी वनस्पतियाँ सभी के आस-पास नही है। ऐसे मे विशेष वनस्पति पर लिखने पर उस वनस्पति की उपलब्धता नही होने से पाठक असहज महसूस करते है। जैसे इस बार ज्ञान जी को हडजोड नही मिला-ऐसा प्रतीत होता है। नही तो निश्चित ही उन्होने विशेष जानकारी जोडी होती। राजस्थान और गुजरात से आज कई सन्देश आये कि यह बढिया जानकारी है। आगे से इस बात का ध्यान रखूंगा कि ऐसी जानकारी हो जो शहरो मे रहने वालो के काम आ सके क्योकि ज्यादातर पाठक वही से है। आप भी अपने विचार रखे ताकि आगामी पोस्टो को रोचक बनाया जा सके।

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  3. भैय्या पंकज जी से गुजारिश है की अपने ज्ञान को संचित कर यदि एक पुस्ताकार रूप दे दें तो बहुत लोगों का फाईदा होगा. ब्लॉग पढने वाले तो उँगलियों पे गिने चुने लोग ही हैं जबकि व्याधि से ग्रसित लोगों की संख्या बहुत अधिक है.नीरज

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  4. पंकज जी इतनी बढ़िया जानकारी के लिए धन्यवाद, आप ने ये तो बता दिया कि इसका ज्यादा प्रयोग नहीं करना है, पर हमने ये वनस्पती का नाम कभी नहीं सुना, इसका अग्रेजी नाम क्या है या किसी और नाम से प्रसिद्ध है ये? आप ने ये भी बताया कि इसका प्रयोग वसा के दुश्परिणाम से बचने के लिए भी किया जा सकता है, कृप्या विस्तार से बताएं उसके बारे में, क्या इसे गमले में लगाया जा सकता है, कैसा हवा पानी चाहिए इसे?

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  5. तलाशेंगेजी इस वनस्पति को।कमर कसवाने वाले कुछ अफसर दिल्ली भिजवाईये। नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भौत अराजकता है।

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  6. ज्ञान जी और पंकज जी , आपके लेख पढ़कर लगता है कि जल्दी ही हमें बोरिया बिस्तर बाँध कर अपने देश ही आ जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ और इलाहाबाद के चक्कर लगाने से बहुत लाभ हो सकता है ऐसा विश्वास पैदा होने लगा है. हड़जोड़ वनस्पति और कहाँ पाई जा सकती है?

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  7. शुक्रिया आप दोनो का!! ऑफलाईन जुगाड़ के बारे में जानकारी दी जाए!!लगता है अनेक उपाधियों के साथ ही आपको “टॉप का जुगाड़ू” उपाधि भी देनी पड़ेगी ;)

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  8. पंकज जी के बारे में समग्र जानकार अच्छा लगा , वह भी जब स्वास्थ्य के बारे में हमारे -आपके हितार्थ कही गयी हो तो जिज्ञासा होना लाजमी है !दिनेश राय जी ने ठीक ही कहा है कि -आपकी टिप्पणियों से तीसरा खंबा अनवरत उत्साहित है।

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  9. पंकज जी के माध्यम से हड़जोड़ को लोंगों तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद। नया साल आप के और मानसिक चिन्तन के लिए स्वास्थ्यकारी रहे। आपकी टिप्पणियों से तीसरा खंबा अनवरत उत्साहित है। न्याय प्रणाली दुरुस्ती अभियान को फील्ड में लाने की योजना पर आज से काम प्रारंभ हो जाएगा।

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