हिन्दी ब्लॉगिंग और सृजनात्मकता


मेरे जैसे अनेक हैं, जो लेखन की दुनियां से पहले कभी जुड़े नहीं रहे। हम पाठक अवश्य रहे। शब्दों के करिश्मे से परिचित अवश्य रहे। पर शब्दों का लालित्य अपने विचारों के साथ देखने का न पहले कभी सुयोग था और न लालसा भी। मैं अपनी कहूं – तो रेलवे के स्टेशनों और यार्ड मेंContinue reading “हिन्दी ब्लॉगिंग और सृजनात्मकता”

वैराग्य को कौन ट्रिगर करता है?


रामकृष्ण परमहंस के पैराबल्स (parables – दृष्टान्त) में एक प्रसंग है। एक नारी अपने पति से कहती है – “उसका भाई बहुत बड़ा साधक है। वर्षों से वैराग्य लेने की साधना कर रहा है।” पति कहता है – “उसकी साधना व्यर्थ है। वैरग्य वैसे नहीं लिया जाता।” पत्नी को अपने भाई के विषय में इसContinue reading “वैराग्य को कौन ट्रिगर करता है?”

Design a site like this with WordPress.com
Get started