मुख्तारमाई, जीवन के उसूल और मुक्ति का रास्ता


मुख्तारमाई पाकिस्तानी कबीलाई बर्बरता से लड़ने वाली सबसे अबला नारी है जो सबसे सबल चरित्र बन कर उभरी। मैने पहले उनके विषय में कभी सजग हो कर पढ़ने का यत्न नहीं किया।
मेरी पाकिस्तानी कबीलाई सभ्यता में रुचि नहीं है। ऊपर से बर्बरता और बलात्कार की कथा पढ़ने का कोई मन नहीं होता। दुनियां में इतने दुख दर्द सामने दिखते हैं कि उनके विषय में और अधिक पढ़ना रुचता नहीं। पर वह तो विचित्र संयोग बना कि रीडर्स डायजेस्ट के जनवरी अंक में मुख्तारमाई के विषय में बोनस पठन छपा और उस दिन मेरे पास विकट बोरियत में पढ़ने को वही सामने पड़ा। और मैं उस बोरियत को धन्यवाद दूंगा। अन्यथा ऐसे सशक्त शख्सियत के विषय में जानने से वंचित ही रहता।

मुख्तारमाई पर बोनस पठन का रीडर्स डायजेस्ट का पन्ना। »

मस्तोई कबीले के नर-पशुओं द्वारा मुख्तार माई का बलात्कार केवल दुख के अलावा कोई अन्य भाव मन में नहीं लाता। पर उसके बाद मौलाल अब्दुल रज्जाक द्वारा मुख्तारमाई का साथ देना – वह भी पाकिस्तान के सामन्ती और कबीलाई वातावरण में, मुख्तारमाई का स्वयम का लड़ने का रिजॉल्व, पांच लाख रुपये की सहायता से घर की विकट गरीबी को दूर करने की बजाय लड़कियों के लिये एक स्कूल खोलने की पवित्र इच्छा और उसे पूरा करने का दृढ़ संकल्प…. इस सबसे मुझे अपने विषय में सोचने का एक नया दृष्टिकोण मिला। अपने परिवेश में बड़े सुविधायुक्त वातावरण में रहते हुये मुझे निरर्थक बातों में परेशान और अवसाद ग्रस्त होना लज्जाजनक लगा।मौलवी रज्जाक के चरित्र ने इस्लाम के विषय में मेरे मन में आदर भाव को जन्म दिया। एक धर्म अगर कुरआन की शिक्षाओं का पालन करने वाले को एक अबला के पक्ष में पूरी दृढ़ता से खड़ा होने की प्रेरणा देता है तो उस धर्म में मजबूती है और वह बावजूद रूढ़िवादिता और इनवर्ड लुकिंग प्रकृति के; वैसे ही जीवन्त और विकसित होगा जैसे मानव सभ्यता।

अल्लाह जब आपको कठिन परिस्थितियां देता है तब उसके साथ आप को उससे जूझने का साहस भी देता है – मुख्तारमाई।

मुख्तारमाई मेरे मन के अवसाद को दूर करने के लिये ईश्वर प्रदत्त प्रतिमान है। सब प्रकार से विपरीत परिस्थिति का सामना करते हुये वह नारी सफल हो सकती है, तो हमें कौन रोकता है? मुख्तारमाई; जिसपर बर्बर कबीलाई समाज अपनी मर्जी पूरी तरह लादता है और उसे आत्महत्या की सीमा तक आतंकित करता है; कैसे अपने नियम और उसूल बनाती है और उन उसूलों पर चलते हुये कैसे खुद मुक्त हो पाती है। कैसे औरों को मुक्ति का मार्ग दिखा सकने में सक्षम हो पाती है – यह जानना मेरे लिये बहुत महत्वपूर्ण पठन रहा।

मित्रों, मुख्तारमाई के बारे में मुझे ’जोनाथन लिविंग्स्टन सीगल’ (रिचर्ड बक की पुस्तक) की प्रारम्भिक पंक्तियां उधृत करने का मन हो रहा है –

“यह कहानी उनकी है जो अपने स्वप्नों का अनुसरण करते हैं; अपने नियम स्वयम बनाते हैं भले ही उनके लक्ष्य उनके समूह, कबीले या परिवेश के सामान्य आचार विचार से मेल नहीं खाते हों।”

मैं यह तो अपनी कलकता रेल यात्रा के दौरान स्मृति के आधार पर लिख रहा हूं। मुख्तारमाई के बारे में तैयारी से फिर कभी लिखूंगा।
(उक्त पोस्ट मैने अपने कलकत्ता प्रवास के दौरान रेल यात्रा में लिखी थी। वापस इलाहाबाद लौटने पर पब्लिश कर रहा हूं।)


पिछली पोस्ट – हृदय और श्वांस रोगों में पारम्परिक चिकित्सा पर कुछ लोगों ने “कोहा के ग्लास को कैसे ले सकते हैं?” प्रश्न पूछते हुये टिप्पणी की है। पंकज अवधियाजी ने इस बारे में मुझे ई-मेल में स्पष्ट किया कि लोग उनसे अपने केस की डीटेल्स के साथ उनसे सम्पर्क कर सकते है। उसपर वे परम्परागत चिकित्सकों की राय लेकर, जैसा वे कहेंगे, बतायेंगे और अगर परम्परागत चिकित्सक ग्लास के पानी के प्रयोग की बात कहेंगे तो वे अपनी ओर से ग्लास भी भेज देंगे।

डा. अमर ने कुछ और ब्लड थिनर्स की बात की है। आप टिप्पणी में वह देख सकते हैं। अदरक, लहसुन, प्याज, नीम्बू और जल अच्छे ब्लड थिनर हैं। पर जैसा पंकज अवधिया जी ने कहा है कि अगर आप एलोपेथिक दवायें ले रहे हैं तो इन पदार्थों को सामान्य से अधिक लेना डाक्टर की सलाह पर होना चाहिये।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

16 thoughts on “मुख्तारमाई, जीवन के उसूल और मुक्ति का रास्ता

  1. “मुख्तारमाई मेरे मन के अवसाद को दूर करने के लिये ईश्वर प्रदत्त प्रतिमान है।”स्त्रियों को जिन सामाजिक विषमताओं, शोषण, एवं क्रूरता का व्यवहार सहन करना पडता है वह एक विडंबना है. मुख्तारमाई जैसे लोग हमारे असली हीरो हैं क्योंकि उन्होंने असहाय स्थिति से इन बातों के विरुद्ध लोहा लिया.

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  2. मुख्तारमाई के बारे में पढ़ा है मैने!!अब कुछ बातें हो जाए-पहली यह कि आप तीन चार दिन ब्लॉग जगत से छुट्टी पर थे उन दिनो का विवरण लिखा जाए।;)दूजी यह कि इतने दिन आपने ब्लॉग्स नही पढ़े उसकी भरपाई कैसे करेंगे, बताएं।;)तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात-आखिर कारण क्या है कि इधर आपकी वापसी पोस्ट अवतरित हुई और उधर अगड़म बगड़म पर राखी सावंत। ;)

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  3. धन्यवाद रीडर्स डायजेस्ट को जो ऐसी सामग्री अभी भी प्रकाशित की जाती है वरना हमरी पत्र-पत्रिकाओ को राजनीति और फिल्मो से फुरसत नही है। समाज मे ऐसे बहुत से लोग है जिन्हे सामने लाकर मीडिया अपना विशेष योगदान दे सकता है।

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  4. अच्छा लगा.. मुख्तारमाई के बारे में पढ कर भी और इतने दिनों बाद आपको देख कर भी..

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  5. लगातार हीरो और हीरोइनविहीन इस दौर में,मुख्तार माई जैसे लोग ही हिम्मत बंधाते हैं कि सब कुछ खत्म नहीं हो गया है।

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  6. “अपने परिवेश में बड़े सुविधायुक्त वातावरण में रहते हुये मुझे निरर्थक बातों में परेशान और अवसाद ग्रस्त होना लज्जाजनक लगा।”बहुत पवित्र स्वीकारोक्ति है.

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  7. मुख्तार माई के बारे मे जानकार अच्छा लगा। आजकल रीडर्स डाइजेस्ट पढना कुछ छूट सा गया है।

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  8. मुख्तार माई के बारे में मैंने पूर्व में पढ़ा है विस्तार से। प्रणम्य महिला हैं जिन्होंने एक साथ मिलने से ही विकृत मानसिकता के विरुद्ध शिक्षा को हथियार मानते हुए उस से लैस सिपाहियों की फौजों का निर्माण शुरु कर दिया जो अब कभी न रुकने वाली प्रक्रिया हो गई है। जीवन कहाँ कहाँ उदित होता है? आप का व्यस्त दिनों के बाद पुनरागमन सुखद है। हिन्दी में केवल आप का चिट्ठा है जो एक दिन न अवतरे तो परेशानी होती है। बिना बताए गायब होना तो भारी परेशानी का सबब बन जाता है।

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  9. सलाम करता हूं ऐसे साहसी व्‍यक्तित्‍व को. वाकई उनका जूझते रहने का जज्‍बा बहुतों को रोशनी दिखाता है.

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  10. मुख्तार के बारे में मैने भी पढ़ा था एक डॉक्टर के यहाँ इंतजार करते हु और पढ़कर प्रभावित हुए बिना नही रह सका। बहुत हिम्मती महिला हैं।

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