मैने डेली एसेंशियल थॉट के विजेट पर एक पोस्ट लिखी थी। मुझे अंदेशा था कि कोई हिन्दी के उत्साही सज्जन यह जरूर कहेंगे कि यह क्या अंग्रेजी में कोटेशन ठेलने की विजेट बनाते हो और उसे अपने हिन्दी ब्लॉग पर प्रचारित करते हो?!
और यह कहने वाले निकले श्री रविशंकर श्रीवास्तव (रविरतलामी)। यही वे सज्जन हैं जिन्होने मुझे हिन्दी ब्लॉगरी के कीट का दंश कराया था। और वह ऐसा दंश था कि अबतक पोस्टें लिखे जा रहे हैं हम “मानसिक हलचल” पर!
मैने उन्हे बताया कि विजेटबॉक्स का विजेट हिन्दी के अक्षर साफ नहीं दिखाता। इसलिये जानबूझ कर मैने अंग्रेजी में यह खिड़की बनाई।
पर रविरतलामी इसपर भी कहां पल्ला छोड़ने वाले थे। उन्होंने ई-मेल से मुझे गूगल गैजेट बनाने का मसाला भेज दिया। मैने बिना देर लगाये यह कह कर कि “आत्मोन्नति” गैजेट आप ही बना कर मुझे कोड भेज दें, तब मैं उसके लिये फीड रोज पोस्ट कर दिया करूंगा; गेंद पुन: उनके पाले में सरका दी।
सामान्य व्यक्ति होता तो कहता कि किस लण्ठ से पाला पड़ा है। जाने दो! पर रवि रतलामी ने बिना समय गंवाये यह गैजेट बना कोड मेरे पास भेज दिया। मित्रों अब मेरे पास कोई चारा नहीं, मुझे रोज एक सद्विचार आत्मोन्नति नाम के अपने ब्लॉग पर पोस्ट करना है, जिससे नित्य यह गैजेट अपलोड/अपडेट होता रहे। यह आत्मोन्नति गैजेट बाजू में लगा है।»»
इस गैजेट का कोड आप यहां पर डाउनलोड कर अपने ब्लॉग की एक खिडकी पर चस्पां कर सकते हैं।
आप इसके लिये रवि-ज्ञान ज्वाइण्ट वेंचर्स को थोड़ा उत्साहित करने का कष्ट करें!

अब आप फँस रहे हैं ज्ञान जी ,रोज़ रोज़ एक कार्टून बनाने की व्यथा कोई लक्ष्मण से पूँछे .बहरहाल मेरी शुभकामनाएं !रवि जी तो खैर पीसी पंडित हैं ही पर परोपकारी ,लालची नहीं .
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अब आप फंसते जा रहे हैं ज्ञान जी ,हर रोज़ एक कार्टून देने की व्यथा कथा कोई लक्ष्मण से पूछे .रतिलामी जी तो खैर औजार -बादशाह है हीं-
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इसीलिये तो कहते है कि हिन्दी ब्लाग की डगर पर आप अकेले नही है। जहाँ आपने कुछ रुकावटे महसूस की वही दसो हाथ आपको थामने आ जायेंगे।
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हम भी वाह-वाह कहते हैं जी।
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शुक्रिया आप का भी और रवि भाई का भी। हिन्दी के प्रति उन का समर्पण प्रणम्य है।
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आप तो जी ये हमरे ब्लाग पर चेप दो.
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अभी अपने ब्लॉग पर चस्पा करता हूं….बहुत अच्छा गैजेट है. शुक्रिया रविरतलामी-ज्ञानदत्त जॉइंट वेंचर्स का :)
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अपना ज्ञान प्रदर्शित करने के अनेकों विकल्प हैं। पर एक आम भारतीय इसके लिये अकसर अंग्रेजी झाड़ने के ”शार्टकट’ की ओर ही लपकता है। परन्तु शायद यह आपके लिये सत्य नहीं है।रवि भाई के जुझारूपन को बार-बार नमन!
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बड़े दिन बाद आपके ब्लाग पर आया. काफी प्रगति है. ब्लागिंग आत्मोन्नति के रास्ते भी खोलती है, यह अच्छा विचार है. वैसे अमेरिका वालों का कहना है कि कैंसर के रोगियों और इसी तरह की अन्य बीमारियों में जकड़ें लोगों को भी ब्लागिंग से बहुत फायदा होता है.
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जमाये रहियेजी।आत्मोन्नति के लिए एक सरल रास्ता यह है कि छह इंची हील का जूता पहनें. छह इंच की उन्नति हो ही जायेगी।वैसे रविजी हिंदी ब्लागिंग के सेंटा क्लाज हैं, सबकी मदद को तत्पर रहते हैं। हिदी ब्लागिंग का इतिहास जब भी लिखा जायेगा, रवि रतलामीजी का नाम सौ पाइट बोल्ड में विट फोटू लिखा जायेगा। जय हो।
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