शिवकुमार मिश्र लिखते हैं एक पोस्ट – तुम मीर हो या गालिब? और लगता है कि हम लोग जनाब राजेश रोशन जी को अहो रूपम- अहो ध्वनि वाले लगते हैं! अर हम लोग हैं भी! नहीं तो इस ब्लॉगरी में समय लगाने कौन आये! मैं अपनी कई पोस्टों में इस फिनॉमिना के बारे में लिखContinue reading “गालिब या मीर – मुझे तो लोग जमे ब्लॉगरी-ए-हिन्दी में!”
Daily Archives: 13.06.2008
बेन्चमार्क अलग-अलग हैं हिन्दी और अंग्रेजी की पुस्तकें खरीदने के?
कल प्रोफेसर गोविन्द चंद्र पाण्डे के “ऋग्वेद” की रुपये आठ सौ की कीमत पर कुछ प्रतिक्रियायें थीं कि यह कीमत ज्यादा है, कुछ अन्य इस कीमत को खर्च करने योग्य मान रहे थे। असल में खुराफात हमने पोस्ट में ही की थी कि “आठ सौ रुपये इस पुस्तक के लिये निकालते एक बार खीस निकलेगीContinue reading “बेन्चमार्क अलग-अलग हैं हिन्दी और अंग्रेजी की पुस्तकें खरीदने के?”
