बहुत हो गया मंहगाई, आतंक, बाढ़, गोधरा, हिन्दू-मुस्लिम खाई, सिंगूर।
अगले चुनाव में यह सब कुछ चलेगा। पर इस राग दरबारी में पहले से अलग क्या होगा? वही पुराना गायन – एण्ट्री पोल, एग्जिट पोल, पोल खोल … पैनल डिस्कशन … फलाने दुआ, ढिमाके रंगराजन। चेंज लाओ भाई।
आपने जरदारी जी को देखा? कैसे गदगदायमान थे जब वे सॉरा पालिन से मिल रहे थे। और हमारी मध्यवर्गीय शिष्टाचरण की सीमा के कहीं आगे वे गुणगान कर गये पालिन जी की पर्सनालिटी का। मेक्केन जी ने तो बढ़िया ट्रम्पकार्ड खेला। बुढ़ऊ से यह उम्मीद नहीं करता होगा कोई! उनकी दकियानूसी इमेज का जबरदस्त मेक-अप हो गया।
इतने सारे मुद्दों से जब चुनावी परिदृष्य रिस रहा हो तो कोई मुद्दा प्रभावी रूप से काम नहीं करेगा भारत में। लोगों का मन डाइवर्ट करने को एक सॉरा पालिन की दरकार है। क्या भाजपा-कांग्रेस सुन रहे हैं?!
अगले चुनाव में पी-फैक्टर (पालिन फैक्टर) बहुत बड़ी सफलता दे सकता है। और जरूरी नहीं कि यह हमारी पालिन कोई शीर्षस्थ नेत्री हो। गड़ग-गुलाबपुरा-गढ़वाल या गुवाहाटी से राज्य/जिला स्तरीय फोटोजेनिक नेत्री हो, तो भी चलेगी। बल्कि जितनी अनजानी और जितनी अधिक सुन्दर हो, उतनी ज्यादा फायदेमन्द है।
बेसुरिक्स नेताओं की भीड़ में एक चमकता ग्लैमरस चेहरा और आपका काम मानो हो गया। राष्ट्रीय दलों को पी-फैक्टर दोहन की दिशा में सन्नध हो जाना चाहिये।
(ऑफकोर्स, आप टिप्पणी में यहां की पालिन पर अटकल लगा सकते हैं! क्या कहा? प्रियंका गांधी – पर न उनमें सरप्राइज एलीमेण्ट है, न वे नम्बर दो पर तैयार होंगी।)

सर जी …..आपने देखा नही की इन्ही जरदारी ने एक तरफ़ सिमटे खड़े मनमोहन सिंह को कैसे गले लगाया था खीच कर…शाम की ख़बर थी बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर ने गोलिया चलायी …..आतंकवादीयो के कवर -अप के लिए ….
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कहाँ से लावें ग्लेमर?यहाँ तो मायावती, ममता, जयललीता ही नज़र आ रहीं है :( सही कहा वे वॉंट चेंज़.
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भाई, मैं तो हैरान हूँ .!! .यहाँ तो सराह पालिन १ २ ३ ४ ५ ….की लाईने लगी है. अब खगालें तो नेहरू जी के समय से एक खुबसूरत…..थी, जो बहुत वर्षों तक नेता-जनता दोनों को लुभाती रही थी. और इसके बाद मेनका, अम्बिका, जया १-२-3, ने अपनी भूमिका को खूबसूरती से निभाया. फ़िर इसके बाद तो क्या कहें…असीमित मात्र में आवक हुई है..हेमा से लेकर पता नहीं कौन-कौन और कहाँ तक….माया तो है ही महाठगिनी .!!..आप हम यहीं से सोचे कहा लगती है, सराह पालिन हमारे वैविध्यपूर्ण रोमांचक लोकतंत्र के आगे…????
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सही जा रहे हैं जी। कुछ दिनों बाद आप मल्लिकाजी को इलाहाबाद से चुनाव लड़ने की सलाह देंगे। हम तो अभी से आपके साथ हूं।
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“…गड़ग-गुलाबपुरा-गढ़वाल या गुवाहाटी से…”या फ़िर नयनतारा – आरा, आगरा, सातारा या गंजदुंडवारा से!
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राखी या पी-फैक्टर का तो पता नहीं | मर्दों ने भी राज़ किया , महिलाओं ने भी राज किया | अब आयी मुन्नी की बारी | ( वेलकम टू सज्जनपुर से :D )
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ज्ञानजी,इलाहाबाद से राखी सावंत को टिकट दिलवा दिया जाये । जो भी पार्टी टिकट देगी वो कह सकती है महिलाओं को ३३ प्रतिशत आरक्षण देने की ये पहली पहल है । टी वी चैनल वाले भी खुश कि पहले की तरह राखी सावंत को कवर भी कर रहे हैं और किसी को कष्ट भी नहीं कि चैनलों का स्तर गिर गया है । यहाँ पर मामला बडा क्लोज है, कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन समस्या है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत और जार्ज बुश के कु(शासन) के ८ वर्ष मैक्केन को ले न डूबें । वैसे भी कैपिटलिस्टिक अमेरिका अब साम्यवादी बन रहा है, डूबती प्राईवेट कम्पनियों को जनता के पैसे से बचाया जा रहा है :-)अब तो कम से कम अपने वामपंथी भाई अमेरिका का विरोध कुछ कम करेंगे ।
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आपने तो राजनीतिक दलों का काम बढ़ा दिया। अब उन्हें पी-फैक्टर की तलाश में जुटना पड़ेगा
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ये आप क्या कह रहे हैं???क्या अब तक यह सरप्राईज एलिमेन्ट मिसिंग था क्या??हम तो हमेशा की भौचक (सरप्राईज्ड) जनता हैं और हमेशा भौच्चके ही ताकते हैं कि यह क्या हो गया. हमें भौचक होने के लिए सरप्राइज एलिमेन्ट की दरकार नहीं और न ही ग्लैमर की. हम तो स्वभावतः भौच्चके ही पैदाईशी हैं और भौच्चके ही मर जायेंगे.
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एक पॉलिन तो अपने यहां ही है….पंपापुर की पिपिहरी देवी….आह…..क्या पिपिहरी बजाती हैं….मक्के के खेत में से एक पत्ती तोड लेती हैं औऱ उसे गोल कर अपने ओठों पर बीडी की तरह रख पी…पी ….बजाती रहती हैं…कोई कुछ बोल दे तो पानी पी – पी कर गाली देती हैं….यानि सारे पी फैक्टर उनके साथ यूं ही आ जाते है……उनको अगर चुनाव में उतार दिया जाय तो सच मानिये….पोल पंडित तो पोल पंडित वो पंडित केवडा प्रसाद भी बगले झांकने लगेंगे जो उस दिन उसे पगली कह बैठे थे….यानि फिर एक पी।
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