वह बगुला अकेला था। झुण्ड में नहीं। दूर दूर तक और कोई बगुला नहीं था। इस प्रकार का अकेला जीव मुझे जोनाथन लिविंगस्टन सीगल लगता है। मुझे लगा कि मेरा कैमरा उसकी फोटो नहीं ले पायेगा। पर शायद कुछ सीगलीयता मेरे कैमरे में भी आ गयी थी। उसकी फोटो उतर आई। बगुला मुझे ध्यान कीContinue reading “बगुला और ऊंट”
Monthly Archives: Mar 2009
लंच-यज्ञ
मेरी नौकरी की डिमाण्ड रही है कि मेरा घर रेलवे के नियंत्रण कक्ष के पास हो। लिहाजा मैं दशकों रेलवे कालोनी में रहता रहा हूं और बहुत से स्थानों पर तो दफ्तर से सटा घर मुझे मिलता रहा है। आदत सी बनी रही है कि दोपहर का भोजन घर पर करता रहा हूं। यह क्रमContinue reading “लंच-यज्ञ”
टूटा मचान
टूटा मचान खूब मचमचा रहा है। सदरू भगत चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं उसकी टूटी मचिया पर। पर जितनी बार ट्राई मारते हैं, उतनी बार बद्द-बद्द गिरते हैं पठकनी के बल। आलू-परवल का चोखा खा कर इण्टेलेक्चुअल बनने चले हैं लण्ठ कहीं के! सदरुआइन बार बार कहती हैं कि तोहरे सात पुश्त में कौनोContinue reading “टूटा मचान”
