भारत में चुनाव सम्पन्न हुये। मेरे दो स्वप्न पूरे हुये। पहला था कि कोई दल २०० से ऊपर सीटें ले पाये जिससे सतत ब्लैकमेलर्स का भय न रहे या कम हो। वह कांग्रेस पार्टी की अप्रत्याशित जीत ने पूरा कर दिया। सारे एग्जिटपोलिये अपने जख्म चाट रहे होंगे पर कोई खुले में स्वीकारता नहीं कि उनकी सेफोलॉजी (psephology – चुनाओं का “वैज्ञानिक” विश्लेषण)), पाल्मिस्ट्री या एस्ट्रॉलाजी से बेहतर नहीं!
दूसरा स्वप्न था कि मेरे समधी श्री रवीन्द्र पाण्डेय पर्याप्त बहुमत से जीत जायें। सो वे जीत गये। गिरड़ीह लोक सभा क्षेत्र से उन्होने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के श्री टेकलाल महतो को लगभग ९५००० मतों से हरा कर विजय हासिल की।
लिहाजा उनसे मिलने को मैने चास-बोकारो-फुसरो की यात्रा की। दस दिन में यह दूसरी यात्रा थी। पहली यात्रा मेरे नाती के जन्म के कारण थी।
श्री रवीन्द्र पाण्डेय से मुलाकात और नत्तू पांड़े (अभी बुलाने का नाम रखा गया है – हनी) को पुन: देखना – दोनो काज सम्पन्न हुये। श्री रवीन्द्र पाण्डेय के पास तो मिलने मिलाने वालों का हुजूम था। वे अभिवादन करने का स्वागत भी कर रहे थे और फोन पर अनवरत बधाइयां भी ले रहे थे। मैं उनके साथ फोटो भी ले पाया।
श्री लालकृष्ण अडवानी के प्रधानमन्त्री न बन पाने के कारण उन्हें शायद आगे अवसर न मिल पाये; पर एक सार्थक विपक्ष बनाने और पार्टी को पुन: परिभाषित करने का काम उन्हें करना है।
अभी शायद वे एक सेबेटिकल (sabbatical – सामान्य काम से ब्रेक) पर चले जायें, पर अपने तरीके से अपना रोल तो उन्हें निभाना है!
नत्तू पांड़े के छोटे हाथ पैर और गोल चेहरे में मैं विभिन्न भाव देखता रहा। उसकी फुन्दनेदार कुलही (टोपी) और सतत सोने/भूख लगने पर रोने की मुद्रायें अभी भी मन में हैं।
लौटानी की चलती गाड़ी चम्बल एक्सप्रेस से गोमो-गया के बीच यह पोस्ट लिखी है। साथी यात्री सो रहे थे और किसी को मेरा यह लैपटॉप पर किटपिट करने का खब्ती पना दिख नहीं रहा था।
इलाहाबाद पंहुचने पर यह अपने शिड्यूल समय से इतर पब्लिश कर रहा हूं।
फुन्दनेदार कुलही (टोपी) –
एक गांव में चूहा रहता, पीपी उसका नाम
इधर उधर वह घूम रहा था, चिन्दी मिली तमाम
लेकर दर्जी के घर पंहुचा, टोपी की ले आस
हाथ जोड़ कर किया नमस्ते, चिन्दी धर दी पास
“दर्जी मामा टोपी सी दो, करो न हमें निराश
नहीं सिली तो कपड़े काटूं, जितने तेरे पास”
टोपी की तैयार रंगीली, बढ़िया फुन्दनेदार
खुश हो कर फिर पीपी बोला – “मामा बड़े उदार”—- मेरी बिटिया की नर्सरी कविता का अंश।

Dada ji will enjoy dear Honey in his sabbatical & Nana ji will try to make yet another excuse to go see his new Baby Boy :)He has you wrapped around his little finger already ….Life id good !Double congrats for double celebrations .warm regards, – Lavanya
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नन्हे-मुन्ने के नाना नानी को दादा के जीत की बहुत बहुत बधाई…प्यारे चुनमुन को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद
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वाह, थोक के भाव में बधाई हो समधी साहब के एमपी बनने की। पांडेय जी को भी ढेरों बधाईयां सांसद बनने कीऔर नाती का सुख तो ऐसा है कि जितना भी देखो, जितना भी उसके साथ रह लो, मन नई भरने वाला।सो मस्त है।
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नत्तू पाण्डे के नाना और दादा को बधाइयां…ये तो दूसरी ख़ुशी ….. अब तो मिठाई बनती है :)
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नत्तू जी के भाग्यशाली चरणों के प्रताप का फल श्री रवीन्द्रजी को विजयश्री के रूप में प्राप्त हुआ। सभी को हार्दिक बधाई।
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papaji lag raha hai honey baby ka sath sath aap bhi baby ho gaya hai.
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समधी जी को चुनाव जीतने की बधाई! कैसी भी परिस्थितियाँ हों जन प्रतिनिधि शुचिता और जनता के जीवन स्तर के सुधार के लिए काम कर सकता है। हम उन से यही आशा करते हैं कि वे इसे इसी तरह निभाएँगे।नत्तू पाँडे जी का इस दुनिया में स्वागत है। बहुत बहुत आशीर्वाद कि वे इस दुनिया मे ऐसे काम करें जिस से दादा और नाना दोनों परिवारों का नाम रोशन हो।
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नत्तू पांडे को ढेर सा प्यार, समधी को बधाईयां। जमाये रहिये। लालूजी की रेल तो लुढ़क ली।
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एक नन्हे से बच्चे के चेहरे पर खिलते अलग अलग भावो के रंग दिल को छु लेते है। मन करता है कि देखते रहें और हर पल को, हर भाव को, किसी सांचे मे ढालकर रख लें ताकि कभी उदासी आये तो उन यादों मे दोबारा डुबकर तरोताजा हो सकें।नत्तू को ढेर सारा प्यार हमारी तरफ से भी दे दीजियेगा, और बधाई तो आपको इत्ती मिल रही है, उसमे थोडा सा इजाफा हमारी तरफ से भी।
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समधी जी की जीत पर उनको और आप को बधाई, नत्तू पाण्डे बहुत क्यूट लग रहे हैं। ये नरसरी की कविता हमने पहली बार सुनी…:)
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