यह मेरे मनपसन्द विषय पर रीडर्स डाइजेस्ट से लिया गया मसाला है। चूंकि अब सर्वोत्तम नहीं छपता और मैं यह अंग्रेजी नहीं हिन्दी में प्रस्तुत कर रहा हूं – अत: मेरे विचार से यह चुरातत्वीय होते हुये भी चल जायेगा।
वैसे भी शब्द मेरे अपने हैं – रीडर्स डाइजेस्ट के नहीं।
प्लास्टिक के थैलों के निमाण में खनिज तेल का प्रयोग होता है। तेल का उत्खनन, शोधन और अन्तत: प्लास्टिक थैले बनाने में बहुत झंझटीय तकनीकी जरूरी है। पर वही हाल लकड़ी से कागज और कागज के थैले बनाने में है। कागज की मिलें भी अम्लीय वर्षा, ग्लोबल वार्मिंग और श्वांस की बीमारियां बढ़ाती हैं। और कागज बनाने में बहुत सी ऊर्जा और जल लगता है। कागज के थैले प्लास्टिक के थैलों से छ गुना ज्यादा वजनी होते हैं। अत: उनका परिवहन भी ईंधन मांगता है और जहरीली गैसें उत्सर्जित करता है।
और अगर आप कहते हैं कि प्लास्टिक लैंण्डफिल में नष्ट नहीं होता और कागज हो जाता है, तो भी आप सही नहीं हैं। लैण्डफिल में लगभग कुछ भी विघटित नहीं होता। इनमें कचरा हवा और जल से अछूता रखा जाता है – जिससे धरती का जल प्रदूषित न हो। और जो बायो-डीग्रेडेबल है; वह भी दसियों या सैकड़ों साल ले लेगा। यह होने में वह मीथेन गैस भी छोड़ेगा जो ग्लोबल वार्मिंग करेगा ही।
रीडर्स डाइजेस्ट उवाच:
पेपर या प्लास्टिक के थैले – दोनो ही बेकार विकल्प हैं। आप तो अपने पुन: इस्तेमाल होने वाले जूट या कपड़े के थैले का प्रयोग करें।
विजय का एक कदम?!


bahut hi sahi mudde par likha hai aapne.is mammle me taau se sehmat hu
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कुछ तो भूल और कुछ झोलाछाप का टैग लगने से बचने के लिये ही जूट और कपडे के थैलों का उपयोग नहीं करता :)
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प्लास्टिक से निर्मित हर बनी चीजो का बहिष्कार होना चाहिए . अपने बहुत बढ़िया सलाह दी मै तो पहले से कपडे के थैलों का उपयोग कर रहा हूँ . आभार जानकारी देने के लिए .
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सही कहा आपने ,काश ऐसा ही हो .
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आप के आरंभिक कथन से विरोध है , भाषा विज्ञान का ज्ञान तो नहीं है {‘ज्ञान’ तो आप हैं } हो सकता है जिस प्रकार सिन्धु से हिन्दू , अलेक्ज़ेन्डर से अलक्षेन्द्र ,अल स्केंदर इस्कंदर सिकंदर हो गया है वैसे ही हो सकता है ” चुरातत्व ” ही मूल शब्द हो जो अपभ्रंशित हो ”पुरातत्व ” हो गया हो , सोच रहा हूँ एक ‘ ज्ञान ‘ [प्र] दत्त [इए ] पोस्ट ठेल ही दूँ | परिस्थितियों-वश बहुत दिन से कुछ मनपसंद नहीं लिख पा रहा हूँ ,शायद परिथितियो का चक्रव्यूह टूट जाये ? वैसे ज्ञानजी आप ने विषय हालात के मौजूं ही उठाया है , आपके झोले ने 60 -70 के दशक का कंधे पर टंगा वो शांतिनिकेतनी झोला याद दिला दिया जो उस युग में इंटीलुक्चुएल ‘ पन ‘ का ट्रेडमार्क हुआ करता था ,और खांटी समाजवादी की पहचान हुआ करती थी | प्लास्टिक का झोला पर्यावरण का घोर शत्रु , तो कागज़ का थैला वर्षा वनों का क्षेत्र घटाता प्राण-वायु का संतुलन बिगड़ता ,ध्वनि प्रदूषण के स्तर को बढ़ता लकडी ध्वनि का अवशोषण कर इसके प्रदूषण स्तर को घटाता है ,और काग़ज हेतु पेडों को काटना पड़ता है |
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कागज़ी थेले प्लास्टिक के थैलों का घटिया विकल्प हैं, या यूँ कहें कि विकल्प ही नहीं है। चार किलो का सामान एक पतली प्लास्टिक की थैली में लटका के ले जाया जा सकता है लेकिन कागज़ की थैली तो आधे वज़न में ही निपट लेगी, उसके लिए गत्ते जैसी मोटाई का मज़बूत कागज़ी थैला चाहिए होगा।अब यह बात सरकार और सुप्रीम कोर्ट को समझ आए तो बात बने। यहाँ दिल्ली में प्लास्टिक की थैलियों पर बैन लग गया है, हर बड़ी-छोटी दुकान ने प्लास्टिक की थैलियाँ देनी बंद कर दी हैं, कुछ पहले से ही कागज़ के थैले दे रही हैं (जैसे रेमण्ड्स के शोरूम) और कुछ ने कपड़े की थैलियाँ रखनी शुरु कर दी हैं जिनके अलग से पैसे देने पड़ते हैं (जैसे रिलायंस फ्रैश), और कुछ थकेली दुकानों ने ऑलटुगेदर किसी भी तरह के थैले देने बंद कर दिए हैं, अपना थैला लाओ तो ठीक वर्ना सामान ऐसे ही हाथ में पकड़ कर ले जाओ!!अब चाहिए कि कागज़ी थैलों पर भी बैन लगे, कपड़े और जूट के थैलों के प्रयोग पर ज़ोर दिया जाए और कागज़/गत्ते अथवा प्लास्टिक का प्रयोग थैलों के रूप में न किया जाए।
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हम तो भैय्या अपने झोले पर ही विश्वास करते हैं. पिलास्टिक से तो परहेज है.
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नयी तकनीको की पूरी तरह परीक्षा किये बगैर उन्हे सीधे बाजार मे उतारने का खामियाजा हम भुगत रहे है। आधुनिक समाज के पास धैर्य की कमी दिखती है। पीछे मुडकर, कुछ पल रुककर, अच्छे-बुरे की पहचान कर निर्णय लेने की क्षमता भी कम हो रही है।
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इमानदारी की बात ये है कि सब कुछ जानते समझते मैं लापरवाह हूँ.. याद नहीं रहता, कौन ढुंढे, आलस्य.. भांती भांती के बहाने खुद के लिये गढ़ पौलिथिन को बढ़ावा देता रहता हूँ.. वैसे हल ये है कि दुकानों पर सामान जुट के थेलों में मिले..
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पुन: इस्तेमाल होने वाले जूट या कपड़े के थैले तो सर्वोत्तम हैं ही, किन्तु सुविधाजनक होने के कारण प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग निकट भविष्य में समाप्त नहीं होने वाला है.
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