नत्तू पांड़े, अपने दूसरे मासिक जन्मदिन के बाद बोकारो से इलाहाबाद आये और वापस भी गये।
उनके आते समय उनके कारवां में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मैं तो आगे आगे चल रहा था, वे पीछे रह गये। मुड़ कर देखा तो उनकी नानी उतरते ही उन्हें स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर अंत में बनी हजरत सैयद करामत अली उर्फ लाइन शाह बाबा की मजार पर प्रणाम करवा रही थीं।
लाइन शाह बाबा की मजार को मैने कभी बहुत ध्यान से नहीं देखा था। नतू पांड़े की मार्फत मेरी धर्मिक आस्था में और विस्तार हो गया।
नत्तू पांड़े अपना झूला ले कर आये थे। जाली वाला हवादार झूला। उसमें मक्खी-मच्छर नहीं जा सकते। सभी ने उस झूले के साथ बारी बारी फोटो खिंचाई! उसके बाद यहां चौक से उनका नया पेराम्बुलेटर भी आया। सबसे छोटे प्राणी के लिये घर भरा भरा सा लगने लगा।
उनके साथ और सभी ने अपने तरीके से सेवा की और खेले। क्या मौज थी!; पूरा परिवार उनकी चाकरी में लगा था। मेरे साथ उनके कई लम्बे और गहन संवाद हुये। देश की अर्थव्यवस्था से ले कर भूमण्डलीय पर्यावरण, भारतीय दर्शन और भारत के भविष्य के बारे में बहुत मोनोलॉगीय डायलाग हुये। मैं समझता हूं कि उन्होने भविष्य में सब ठीक कर देने की हामी भरी है। उनके इस प्रॉमिस को मुझे बारम्बार याद दिलाते रहना है!
नत्तू पांडे वापस बोकारो के लिये जा चुके हैं। उनके कार्यकलाप अभी भी मन में नाच रहे हैं। ![]()

देखिये अब पूरा भविष्य नत्तु के कन्धों पर रहेगा. हमारा प्यार एवं आशीर्वाद. मुलाकात करवाने के लिए आभार
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नत्तू पाँड़े चल पड़े नानाजी के धाम।मन में हलचल मच गयी,लो सब करें सलाम॥लो सब करें सलाम, टिप्पणी बढ़ती जाती।सूद देखकर हर्षित, जिसको कहते नाती॥देश काल की बातें सुनता है यह बत्तू।नानाजी को पोस्ट लिखाता है यह नत्तू॥
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नत्तू पांडे जिंदाबाद
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हजरत सैयद करामत अली उर्फ लाइन शाह बाबा पर कुछ स विस्तार जानकारी बताइयेगा – नानी जी ने अच्छा किया चि. बाबा को उनके दर्शन करवाये -सच ! कितना आनँद आता है नन्न्हे मुन्नोँ से वातावरण दीव्य हो जाता है -" नत्तू बाबू " को ,मेरे भी ढेरोँ आशीर्वाद और बिटिया को स्नेहाशिष :) "दूधो नहाओ, पूतो फलो "~ मजे करीये चिँता ना करेँ ~~ भारत का भावी उज्ज्वल है – लावण्या
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आज तो नत्तू पांड़े जी ने मजबूर कर ही दिया कि टिपिया के जाएं इधर भले ही दफ्तर से ही क्यों न टिपियाएं ;)पहली बात तो नत्तू पांड़े जी के लिए स्नेह व आशीर्वाद ।दूसरी बात यह कि आपके मोनोडॉयलाग वार्तालाप को बहुत ही दिलकश अंदाज में लिखा है, इस वार्तालाप से वह कहावत वाकई ध्वनित हो रही है जिसमें कहा जाता है कि मूल से सूद प्यारा।
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नत्तू पांडे जिंदाबाद…अभी तो जनाब बहुत छोटे हैं जरा बड़े होने दीजिये फिर देखिये क्या मजा लगायेंगे…इश्वर उन्हें हमेशा खुश रक्खे…नीरज
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नत्तू पाण्डे कितने प्यारे है आप, जी में आता है गोद में लेकर गोल-गोल घूम जाऊँ। नानाजी से कितनी लम्बी-चौड़ी बातें करते है। बाप रे !सर, अब तो आप को मिठाई खिलानी ही पड़ेगी।
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नत्तू पाण्डे से मिलकर अच्छा लगा . जब पिछली बार आपने उनसे परिचय कराया था तो हम गावँ गये हुए थे . अभी पहली बार ही मिले .हमारी कामना है कि नत्तू हमेशा खुश रहे .
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इस पीढी के पदार्पण के साथ ही जीवन मे एक बदलाव सा शुरु हो जाता है. और सारी व्यस्तताओं के बीच लगता है बस इनके जैसे ही हो जाये..तभी तो यह संवाद आप कर पाये. अभी तो आगे २ देखते जाईये नतु जी और आपके संवाद कितने आनंद दायक होंगे. नतु जि को बहुत प्यार और आपको बहुत शुभकामनाएं.रामराम.
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ऐसा ही होता है मूल सूत संवाद -स्नेहाशीष !
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