गरिमामय वृद्धावस्था


Old Woman3 झुकी कमर सजदे में नहीं, उम्र से। और उम्र भी ऐसी परिपक्व कि समय के नियमों को चुनौती देती है। यहीं पास में किसी गली में रहती है वृद्धा। बिला नागा सवेरे जाती है गंगा तट पर। धोती में एक डोलू (स्टील का बेलनाकार पानी/दूध लाने का डिब्बा) बंधा होता है। एक हाथ में स्नान-पूजा की डोलची और दूसरे में यदाकदा एक लाठी। उनकी उम्र में हम शायद ग्राउण्डेड हो जायें। पर वे बहुत सक्रिय हैं।

बूढ़े और लटपटाते लोग आते हैं गंगा तट पर। वे अपना अतीत ढोते थकित ज्यादा लगते हैं, पथिक कम। शायद अपने दिन काटते। पर यह वृद्धा जब सवेरे उठती होगीं तो उनके मन में गंगा तट पर जाने की जीवन्त उत्सुकता होती होगी।

Old Woman2 गंगा जब किनारे से बहुत दूर थीं और रेत में काफी पैदल चलना होता था, तब भी यह वृद्धा अपनी सम चाल में चलती वहां पंहुचती थीं। जब वर्षा के कारण टापू से बन गये और मुख्य जगह पर जाने के लिये पानी में हिल कर जाना होता था, तब भी यह वृद्ध महिला वहां पंहुचती थी। तट पर पंहुच डोलू और तांबे का लोटा मांजना, पानी में डुबकी लगा स्नान करना और अपनी पूजा का अनुष्ठान पूरा करना – सब वे विधिवत करती हैं। कोई सहायक साथ नहीं होता और तट पर किसी से सहायता मांगते भी नहीं देखा उन्हें।

लावण्ययुक्त गरिमामय वृद्धावस्था (Graceful Dignified Old Age) – आप कह सकते हैं कि मैं पेयर ऑफ अपोजिट्स का सेण्टीमेण्टल जुमला बेंच रहा हूं, इन महिला के बारे में। और यह सच भी है। मैं इस जुमले को मन में रोज चुभुलाता हूं इन वृद्धा को देख कर! Old Woman1

मैं अभय और अनूप सुकुल के कहे अनुसार परिवर्तन कर दे रहा हूं। उनके सुझाये शब्द निश्चय ही बेहतर हैं।


कबीर पर एक पासिंग विचार सूत्र (यूं ही!)

“भाषा पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे। जिस बात को उन्होने जिस रूप में प्रकट करना चाहा है उसे उसी रूप में भाषा से कहलवा लिया – बन गया तो सीधे सीधे, नहीं तो दरेरा दे कर। … वस्तुत: वे व्यक्तिगत साधना के प्रचारक थे। समष्टि-वृत्ति उनके चित्त का स्वाभाविक धर्म नहीं था।”

– आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी।  

सात’ओ क्लॉक का अपडेट – आज मातृनवमी है। श्राद्ध पक्ष में दिवंगत माताओं को याद करने का दिन है। और आज गंगा जी रात बारह बजे से बढ़ी हैं। सवेरे चमत्कारिक रूप से और पास आ गई हैं इस किनारे। मानो स्वर्ग से माता पास आ गयी हों बच्चों के!

कहां बैराज खोला गया है जी?! चित्र में देखें – उथले पानी को पार कर कितनी दूर जा नहा रहे हैं लोग!   Maatri Navami


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

33 thoughts on “गरिमामय वृद्धावस्था

  1. आपने यहां एक लिंक दिया है – यूँ ही…..उस पर जाकर देखा कि आपकी टिप्पणी मे रोचक ढंग से 'हू केयर्स' लिखा है. अक्सर ऐसे आम जनों को, वद्ध जनों को देखते हुए जो खुद का काम वृद्धावस्था को मात करते हुए नियत ढंग से करते चले जाते हैं…कोई ध्यान से नहीं देखता…कोई उल्लेखनीय नहीं मानता…उनके लिये आमजन में एक भाव होता है 'हू केयर्स' वाला. लेकिन आप ने उल्लेखनीय माना है जो कि आपकी दार्शनिक प्रवृत्ति को उजागर कर रहा है।

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  2. आपकी इस पोस्ट ने झुकी कमर वाली दादी की याद दिला दी जिसने हड्डियों की गंभीर समस्या के बावजूद तडके चार बजे उठकर अपने स्नान ध्यान का नियम आखिरी समय तक भी नहीं छोडा…!! भविष्य के कदमों की आहट को महसूस कराती आपकी यह पोस्ट हमेशा की तरह मौलिक और रोचक है ..

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  3. कबीर पर एक पासिंग विचारसूत्र यहाँ क्यों आ धमका ? क्या एक मनोदशा बन गयी इस विचार-सूत्र से ।इस प्रविष्टि के लिखने से पहले यह सूत्र पकड़ में आ गया या इसके बाद ?इतने प्रश्नों की जरूरत क्यों रहती है मुझे ! फिलहाल तो मैं भी उसी अतीत ढोती मानसिकता का थकित जीव महसूस करता हूँ अनगिन मौकों पर, पथिक कम । प्रविष्टि का वैयक्तिक सौन्दर्य और उसका लावण्य अभिभूत करता है ।

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  4. जवानी तो जिन्दगी जीने के लिए जद्दोजहद में बीत जाती है .बुढापा तो शांति के साथ व्यतीत हो जाए वह भी लावण्ययुक्त तो क्या बात है . आचार्य द्विवेदी जी की कही बात आप पर भी सटीक बैठ सकती है .

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  5. सर मेरा भी नमन बुजुर्गों को और नमन आपको भी की आप ऐसे विषयो पर लिखकर हमे प्रेरणा प्रदान करते है।आभा♥♥♥♥♥♥रताऊ का पहला ग्रहाक पहुचा अपना प्लोट लेने चन्द्रमा पर- देखे कोन है ?Mumbai Tigerहे! प्रभु यह तेरापन्थ

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  6. आपकी पोस्ट पढकर मेरी दादी अचानक याद आ गई, उनकी तो कमर भी नही झुकी थी,नियम की बहुत पक्की थी….शायद इसीलिए…..

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  7. बुढापे में ऐसी जीवटता गांवों में कई बुजुर्गों में देखि जा सकती है ! नमन ऐसे बुजुर्गों को !

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  8. गंगा ज्ञान लहरी का प्रणयन पथ अब प्रशस्त हो चुका है -हम आश्वस्त होते हैं -विमोचन में अवश्य रहेगें यह वचन देते हैं !

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  9. निश्चित तौर पर हम आप ग्राउण्डेड हो जाएँगे उस उम्र में, और होना भी हैवैसे देखा जाए तो बिना किसी शिकवे के, ज़िंदगी की जद्दोजहद में जो जितना जूझ चुका है अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए, वह अपनी इच्छाशक्ति के सहारे ही उम्र के उत्तरार्द्ध में सक्रिय बने रहता है, बिना किसी सहारे केआपकी पोस्ट बहुत कुछ कहे जा रही है बी एस पाबला

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  10. कहते हैं न कि नया नौ दिन पुराना सौ दिन । जब आप उस उम्र में ग्राउण्डेड हो जायेंगे हमारा क्या होगा सोच कर जी घबराने लगा ।

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