मेरी गली में कल रात लोगों ने दिये जला रखे थे। ध्यान गया कि एकादशी है – देव दीपावली। देवता जग गये हैं। अब शादी-शुभ कर्म प्रारम्भ होंगे। आज वाराणसी में होता तो घाटों पर भव्य जगमहाहट देखता। यहां तो घाट पर गंगाजी अकेले चुप चाप बह रही थीं। मैं और मेरी पत्नीजी भर थे जो एकादशी के चांद और टॉर्च की रोशनी में रेत की चांदी की परत और जलराशि का झिलमिलाना निहार रहे थे।
मैने देखा – घाट पर पर्याप्त गन्दगी आ गयी है। सफाई जरूरी है। लगभग ८-१० मैन ऑवर्स के श्रम की दरकार है। श्रीमती रीता पाण्डेय और मैने मन बनाया है कि आने वाले रविवार को यह किया जाये। हम शुरू करेंगे तो शायद और लोग भी साथ दें। अन्यथा एकला चलोरे!
यह पोस्ट लिख कर हम यह प्रतिबद्धता जता रहे हैं कि शिवकुटी के गंगाघाट पर कुछ सफाई करेंगे हम पति पत्नी। कुछ अफसरी का बैरियर टूटेगा और कुछ लोग कौतूहल जाहिर करेंगे। ब्लॉगरी के सम्मेलन में भी कुछ ऐसा ही था न?
इस उम्र में, जब भौंहें भी सफेद हो रही हैं, मैं अपना पर्सोना ओपन-अप करने का प्रयास कर रहा हूं। शायद बहुत देर से कर रहा हूं। शायद जब जागे तभी सवेरा।
हे जग गये देवतागण, हे सर्वदा जाग्रत देवाधिदेव कोटेश्वर महादेव; चेंज माई पर्सोना फॉर द बैटर।
चार साल पहले की देव दीपावली, वाराणसी में गंगा तट पर।
@ देव दीपावली लिखने में गलती हो गयी है। कल देवोत्थानी एकादशी थी। आप नीचे प्रवीण शर्मा जी की टिप्पणी देखने का कष्ट करें।
अपडेट – प्रियंकर जी को विवाह की वर्षगांठ पर बहुत बधाई!

मैंने केवल सुना भर है देव दीपावली के बारे में कभी देखा नहीं। सो अपन तो कुछ न बोलेंगे इस पर। रही बात सफाई की…तो सराहनीय कदम तो है ही। मेरी शुभकामनाएं। देखा देखी और लोग इस पावन कर्म में जुट ही जाएंगे।
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कई वर्ष पहले जब बनारस में रहता था तो देखी थी देव दीपावली । दीये से भरे घाटों को देखना अद्भुत लगा था । साफ़-सफ़ाई और गंदगी से पता चलता है आदमी कितना कल्चरल, संस्कारिक और सामाजिक है । अभी भी हम लोग पिछड़े हुये है । पर अगर एक एक हाथ उठने लगे तो हजारो हाथ उठते चले जायेंगे । आपके द्वारा किया गया यह पुनित कार्य हमारे लिये प्रेरणा का श्रोत होगा । हमारे यहाँ इसे "देव उठौन एकादशी" कहते है । आभार
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ज्ञानदत्त पाण्डेय जी सफ़ाई के संग संग लोगो को जागरु भी करे कि ऎसा ना करे हर तरफ़ गंदगीना फ़ेलाये, नदी नालो मे कुडा करकट ना फ़ेके, पुजा पाठ के नाम से भी नदियो कि पबित्रा खराब ना करे, तभी बात बनेगी….्बहुत सुंदर विचार लोग जरुर साथ निभायेगे
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Logon ne devtaon ko to jaga diya..ab iishwar se prarthna hai we manushyon ko jagayen…..Aapka paavan puneet kartaby bodh sahashtron sahastra hriday tak pahunche aur log bhi isi prakaar nadi naalon sadak chourahe ki safai me jut jayen…aur jo safai na karna chahen ,wo kam se kam sarvjanik sthanon par kooda na bikheren ,yahi iishwar se prarthna hai..
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"। हम शुरू करेंगे तो शायद और लोग भी साथ दें। अन्यथा एकला चलोरे!"देव दीवाली पर अच्छा व्रत लिया आपने। स्तुतीय, वंदनीय…..दीपक से दीपक जलता रहे॥ लोग जुट ही जाएंगे, आपके श्रम को सार्थक करने के लिए।
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आपके पवित्र अभियान के लिए शुभकामनाएँ परन्तु अब कितनी बार ऐसा कर पाएंगे लोग फिर किया कराया बराबर कर देंगे.
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बहुत सुन्दर कार्य को अंजाम देने की सोच रहे हैं अगर हम आस पास होते तो इस शुभ कार्य में हम भी योगदान देते और आप के इस कार्य को देखकर और भी लोग आगे आयेंगे !!! देव जाग गए अब इंसानों की बारी है जागने की !!!
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एक पूनित कार्य होगा. गंगा में डूबकी लगाने से ज्यादा पूण्य का काम है. बधाई स्वीकारें. बहुत से काम मात्र झिझक वश नहीं हो पाते. यह टूटनी चाहिए.
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आमीन,जागे हुये देवता आपके पुण्य कार्य मे मदद करेंगे।कोई जुड़े न जुड़े,आप तो शुरू किजिये।
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आपका अभियान सफल हो.
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