उत्सुकता एक कीड़ा है, यदि काटता है तभी बुखार चढ़ता है। कभी कभी इस बुखार से पीड़ित व्यक्ति प्रश्न पूँछ कर अपनी अज्ञानता को प्रदर्शित करने में संकोच नहीं करते हैं। उपहास की दवाई से यह बुखार उतर भी जाता है। यदि आप परिस्थितियों के लिये नये हैं तो बुखार तेजी से चढ़ता है और बहुत देर तक चढ़ा रहता है। यदि आप समझते हैं कि आप पुरोधा हैं तो आपका मन आपकी रक्षा करता है और आपको समझा बुझाकर इस बुखार से बचा लेता है।
यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। बच्चों को उत्सुकता दैव प्रदत्त है और उपहार में मिलती है। धीरे धीरे हम बड़े होने लगते हैं और अपने आप को तोपची समझने लगते हैं। यह स्थिति या क्षण हमारे जीवन में ज्ञान और विकास का पूर्णविराम है । उसके बाद हम केवल भावनाओं में बहने लगते हैं। भावनायें भी हाथी के विभिन्न अंगों के अनुभव के जैसी।
मैंने एक नियम बनाया है कि जब भी मैं किसी यात्रा में जाता हूँ, सहयात्रियों से बात कर उनके व्यवसाय के बारे में जानने का प्रयास करता हूँ। अभी पिछले कुछ महीनों में एक शेफ, एक डेन्टिस्ट, एक मेडिकल स्टोर के चेन के स्वामी, एक पुराने बैंक कर्मी और रेस्टॉरेन्ट मालिक से उनके व्यवसायों के बारे में बहुत कुछ जाना। यदि आप सुनने को तैयार है और सही प्रश्न पूछते हैं तो लोग बताने में आनन्द लेते हैं। कई बार शेर को सवा शेर मिला और मुझे भी रेलवे की सुधरती अर्थव्यवस्था पर व्याख्यान देना पड़ा और सफाई व्यवस्था पर लम्बा आख्यान सुनना भी पड़ा। दोनों दशाओं में मैं लाभान्वित हुआ।
यदि आप उत्सुक रहेंगे तो उत्साहित भी रहेंगे। आप उत्साहित रहेंगे तो आपका बुखार औरों को भी होगा। फ्लू फैलेगा पर चेहरे पर कपड़ा कोई नहीं ढकेगा। :-)
केनेषितम् प्रेषितम् मन: (किसने प्रेषित किया मन, किसने दिया प्रथम श्वांस?…) – मुझे प्रश्नोप्निषद (केनोप्निषद) हिन्दू दर्शन के सन्दर्भ में कम, इस सन्दर्भ में बहुत अपील करता है कि सबसे महत्वपूर्ण है प्रश्न कर पाने की क्षमता। ईश्वर सभी प्रश्नों के उत्तर भले न दें, हममें हर दशा में उत्सुकता बनाये रखने और प्रश्न कर पाने की क्षमता रख पाने का वरदान अवश्य दें!
प्रवीण जी की उक्त पोस्ट मुझे इस बात की याद दिला गयी। मैं बहुधा ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूं!
हे भगवान! ये धूर्त लॉटरी की ई-मेल वाले हिन्दी में भी चालू हो गये! कल मुझे यह स्पेम-मेल मिला –
प्रिय लकी विजेता,
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बधाई.
जस्टिन होम्स

बच्चों की तरह प्रश्न पूछने की उत्सुकता वायरल फीवर की तरह फ़ैल कर चिर युवा बने रहने में सबकी मदद करे ….!!
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प्रश्न कर पाने के लिये उत्सुक या जिज्ञासु होना जरूरी है । और प्रवीण जी की ये बात भी कि यदि आप उत्सुक होंगे तो उत्साही भी होंगे । छोटू जी की तसवीर हमें भी बहुत भायी ।
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हमें तो नन्हे नत्तू बाबू की तस्वीर बहोत पसंद आयी == जीते रहो – खुश रहोऔर मेरे ब्लॉग पर , आपके कई नन्हे दोस्तों की फोटो लगी है , उन्हें भी मिलने आ जाओ :)प्रवीण भाई , बढिया लिखते हैं –स्नेहाशिष सह:- लावण्या
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प्रश्न जीवित हों, ठीक है बढ़ जाये उत्साह।मिले आपको लाटरी सुमन हृदय की चाह।सादर श्यामल सुमन09955373288www.manoramsuman.blogspot.com
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प्रवीण जी का लेख बहुत सार गर्भित रहा ये उत्सुकता ही है जो हमें हमेशा नया सिखाती है बिना उत्सुकता के तो हम कुछ सीख ही नहीं सकते है उत्सुकता रूपी यह बुखार बहुत बढ़िया है |
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प्रश्न पूंछते थके हम -काश फिर से बच्चे बन जाते !
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कस्मै देवाय हविषा विधेमआ नो भद्रा: क्रतवो यंतु विश्वत:________________________इतना पैसा पाए हैं – लगता है नाइजीरिया बहुत धनी देश है। वहाँ के निवासी ऐसे ही दन फेंकते रहते हैं। एक चार्टर्ड प्लेन करिए चलते हैं। बटोर कर लाएँगे। ..लॉटरी जीतने की बधाई।
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प्रश्न कर पाने की क्षमता रख पाने का वरदान अवश्य दें! -इसी प्रार्थना में हमेशा जुटे रहते हैं. प्रवीण जी का प्रवचन हमेशा की तरह भाया.आगे से अगर कभी स्वामी जी लिख दूँ तो उन्हीं के लिए लिखा समझियेगा, सादर :)
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प्रश्न पूछना बडा मुश्किल कार्य है। हमारे डिपार्टमेंट के साप्ताहिक सेमिनार के अन्त में जब कभी कोई सवाल नहीं पूछता है तो आत्मा पे बोझ आता है कि ठीक से सुना होता तो शायद पूछ लेते।आज आन द रेकार्ड कह रहे हैं, कई बार ऐसा हुआ है कि किसी ने प्रश्न पूछा और हमें लगा कि ये कैसा फ़िजूल का प्रश्न है, लेकिन सामने वाले ने जब उसका उत्तर दिया तो लगा कि प्रश्न गहरा था हम ही समझ नहीं पाये। कई बार पूरा सेमिनार ध्यान से सुनने के बाद भी प्रश्न नहीं सूझता या पूछने में संकोच रहता है।इसी पर हमारे एक प्रोफ़ेसर का कथन याद आ गया, There are no stupid questions. Only stupid answers I might give.चलिये इस गुरूवार को होने वाले सेमिनार में हम भी पूरे ध्यान से सुनेंगे और एक प्रश्न पूछने का प्रयास करेंगे।
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'यदि आप उत्सुक रहेंगे तो उत्साहित भी रहेंगे। आप उत्साहित रहेंगे तो आपका बुखार औरों को भी होगा। फ्लू फैलेगा पर चेहरे पर कपड़ा कोई नहीं ढकेगा।'आपने बहुत सार्थक बात कही है. बिना उत्सुकता के हम कुछ भी तो नही सीख सकते है.500,000.00 डॉलर की लाटरी के लिये बधाई. मत भूलिए यह राशि स्पेमरों के कारण ही मिली है.
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