मां के साथ छूट

स दिन हीरालाल ने मेरे सामने स्ट्रिप्टीज की। कपड़े उतार एक लंगोट भर में दन्न से गंगाजी में डुबकी लगाई – जय गंगे गोदावरी! 

Liberty with Gangesगोदावरी? मुझे यकीन है कि हीरालाल ने गोदावरी न देखी होगी। पर हिन्दू साइके में गंगा-गोदावरी-कावेरी-नर्मदा गहरे में हैं। यह निरक्षर गंगाजी से पढ़े लिखों की तरह छद्म नहीं, तह से स्नेह करता है। खेती में यूरिया का प्रयोग कर वह पर्यावरण का नुकसान जरूर करेगा – पर अनजाने में। अगर उसे पता चल जाये कि गंगाजी इससे मर जायेंगी, तो शायद वह नहीं करेगा।

पर पढ़े लिखे जानबूझ कर क्रूरता दिखाते हैं। उस दिन राजीव ओझा जी ने बड़े वीभत्स फोटो भेजे थे समुद्र तट के, जिसमें डेनमार्क के कसाई लोगों ने बहुत सी डॉल्फिने मार डाली थीं, मौज मजे के लिये और समुद का जल लाल हो गया था। बर्बर! अलकायदात्मक बर्बर!

Denmark Killersकल हीरालाल और उनकी गोल के लोग गंगाजी की तट की कटान से परेशान दीखे। कटान के चलते खेती नहीं कर पा रहे हैं। कुछ लोगों ने बीच में उग आये टापुओं पर खेती शुरू की है, पर बकौल चिरंजीलाल उसमें रिस्क है – माघ मेला में एंह दाईं कुम्भी बा। एन्हने छोड़िहीं कानपुर क लाल पानी, भगतन के नहवावई बरे। ऊ केतना टापू काटे, का कहा जाये! (माघ मेला में इस बार कुम्भी – १२ साल के चक्र का एक चौथाई पूरा होना – है। उसमें ये जल छोड़ने वाले कानपुर का लाल पानी छोड़ेंगे, भक्तों को नहलाने के लिये। लाल और दूषित जल! वह टापुओं को कितना काटेगा, अभी क्या कहा जाये!)

हीरालाल कटान की बालू को खोद कर समतल बना अपने स्नान के लिये प्लेटफार्म की व्यवस्था कर रहे थे। बुदबुदाते भी जा रहे थे – मरिन, नास कई दिहिन यहं दाईं गंगा माई (मारा सत्यानाश कर दिया इस बार गंगा माई ने।)

मैं रुका नहीं हीरालाल का स्नान-डुबकी देखने को। पर डुबकी लगाते समय जरूर कहा होगा -  जय गंगे गोदावरी!

अपनी मां के  साथ छूट नहीं लेंगे ये केवट तो किससे लेंगे! 


मेरी गंगा सफाई टीम के सबसे उत्साही सदस्य हैं बच्चे। पिछले रविवार वे ही ज्यादा थे। फोटो लेने लगा तो सब एक साथ सिमट आये। उनको देखिये –

Young Team


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

26 thoughts on “मां के साथ छूट

  1. "यह निरक्षर गंगाजी से पढ़े लिखों की तरह छद्म नहीं, तह से स्नेह करता है।"निरक्षर है न, इसीलिये गंगा जी से तह से स्नेह करता है। यदि उसने भी विदेशी शिक्षानीति पर आधारित शिक्षा ग्रहण की होती तो छद्म ही करता।

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  2. मुझे तो हीरालाल से बढ़कर ज्ञानदत्त जी के अंतर्मन को समझते रहने में खासी रूचि है -कितने ही प्रोजेक्टों में एक यह भी मेरा प्रोजेक्ट है जो लंबा चलेगा!

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  3. लिखना तो है पर क्या कहूँ.. ? आपके यहाँ लोग पर्सनल हो जाते है,.

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  4. किसी ने सच ही टिप्पणी की थी कि अगर आप गाँव में रहने लगे तो राग दरबारी जैसे कई चरित्र उभर आएँगे। @ माघ मेला में इस बार कुम्भी – १२ साल के चक्र का एक चौथाई पूरा होना – है। उसमें ये जल छोड़ने वाले कानपुर का लाल पानी छोड़ेंगे, भक्तों को नहलाने के लिये। लाल और दूषित जल! वह टापुओं को कितना काटेगायह वाक्य दिखाता है आप की डूब को !

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  5. हाँ; माँ तो माँ है..डेनमार्क वाले ईमेल मेरे पास भी आयी थी, मुझे सहसा विशवास ही नहीं हुआ..निस्संदेह "अल-कायदात्मक ढंग..!

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  6. डाल्फिनों की हत्या से लाल हुआ समुद्र जल …भयावह …मगर इंसानों के खून से लाल हुई जमीन से भी जिनका जी नहीं पसीजता …उन्हें क्या …!!

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  7. गंगा जी की भवतारिणी आत्मा सब कुछ स्वीकृत करती है शायद । गंगा जी का अविरल प्रवाह शायद आपके चिन्तन में उतर गया है । अविरल बहता गंगा-चिंतन ! आभार ।

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  8. सही ही तो है-अपनी मां के साथ छूट नहीं लेंगे ये केवट तो किससे लेंगे! -जय गंगे गोदावरी!!राजीव ओझा जी की भेजी तस्वीरें बहुत समय तक मन उद्वेलित करती रहीं..क्या हो गया है मानवता को!!

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