हरा बैंगळुरू; भरा बैंगळुरू

विकास के पथ पर पेड़ो का अर्ध्य सबसे पहले चढ़ता है पर बेंगळुरु में हरियाली का आदर सदैव ही किया जाता रहा है। गूगल मैप पर देखिये तो शहर हरा भी दिखायी पड़ेगा और भरा भी। सड़कों के किनारे वृक्ष अपने अन्दर कई दशकों का इतिहास समेटे शान से खड़े हैं। बरगद के पेड़ों की जटाओं में पूरा का पूरा पार्क समाहित है। घरों की संरचना उपस्थित पेड़ों के इर्द गिर्द ही की जाती है।

botanical-garden-bangalore-india S लालबाग, बैंगळुरु

बेंगळुरु को बागों का शहर कहा जाता है और वही बाग बढ़ती हुयी वाहनों की संख्या का उत्पात सम्हाले हुये हैं। पार्कों के बीचों बीच बैठकर आँख बन्द कर पूरी श्वास भरता हूँ तो लगता है कि वायुमण्डल की पूरी शीतलता शरीर में समा गयी है। यहाँ का मौसम अत्यधिक सुहावना है। वर्ष में ६ माह वर्षा होती है। अभी जाड़े में भी वसन्त का आनन्द आ रहा है। कुछ लिखने के लिये आँख बन्द करके सोचना प्रारम्भ करता हूँ तो रचनात्मक शान्ति आने के पहले ही नींद आ जाती है। यही कारण है कि यह शहर आकर्षक है।

Cubbon-Park-Bangalore- S कब्बन पार्क, बेंगळुरु

पिछले एक दशक में बेंगळुरु का अनियन्त्रित और अनपेक्षित विस्तार हुआ है। कारण मूलतः दो रहे।

praveen यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं।

साठ के दशक में जो पब्लिक सेक्टर की शुरुआत में भर्ती हुये, वो कर्मचारी इसी दशक में सेवानिवृत हुये। उन्होने जीवन भर सरकारी मकानों में रहने के बाद, नौकरी की जमा पूँजी से अपने लिये यहाँ पर घर खरीदना चाहा। लगभग उसी समय नारायण मूर्ती की आई टी ब्रिगेड जिनके पास अथाह पैसा तीस वर्ष का होने के पहले ही आ गया था, उन्होने पुरानी पीढ़ी की समझ और धैर्य का परित्याग करते हुये अपने वैवाहिक जीवन का प्रारम्भ अपने घरों से ही करना उचित समझा।
कहा जाये तो दो पीढ़ियों ने मकानों की खरीददारी एक समय ही करने की ठानी। पीढियों की दूरियों का निशाना बना इस दशक का बेंगळुरु।

lalbagh-botanical-garden-view-bangalore S लालबाग के नेपथ्य में शहर

जनसंख्या के विस्फोट का सजीव उदाहरण है बेंगळुरु। चारों दिशाओं में फैल रहा है और साथ ही साथ फ्लाईओवरों व अण्डरपासों ने शहर को एक मंजिला भी बना दिया है। चारों ओर मॉल, वाहन, भीड़ और नौकरियाँ इसी विस्फोट के परिणाम हैं। निसन्देह यह शहर तो सबको समाहित कर लेगा पर जिन पेड़ों पर शहर का पर्यावरण इतराता है, वे क्या इस विस्तार को समेट पायेंगे?

(इस पोस्ट के लिये कुछ जानकारी श्री वाई.एन. बाबू, वरिष्ठ मण्डल परिचालन प्रबन्धक, बेंगळुरु रेल मण्डल ने दी है)


Dhirendra धीरेन्द्र दुबे

इस आलेख के लिये चित्रों की व्यवस्था के लिये मैने अपने साले जी को अनुरोध किया। श्री धीरेन्द्र दुबे, मेरे ब्रदर-इन-लॉ, बेंगळुरू में रहते हैं। और बड़ी तत्परता से (आश्चर्य में डालने वाली तत्परता! अन्यथा, मुझे मालुम है कि मेरे ब्लॉग के पाठक नहीं हैं धीरेन्द्र) उन्होने फोटो ई-मेल कर दिये। फोटोग्राफ वास्तव में पोस्ट को वैल्यू-ऐड कर रहे हैं। बाजू में देखें धीरेन्द्र का चित्र! यह कई साल पहले के एक फोटो की स्कैन प्रति है।   

और जब तक मैं पब्लिश बटन दबाता, प्रवीण ने भी बैंगळुरु की हरियाली के दो अच्छे चित्र भेज दिये! वे नीचे लगे हैं।

100_0541S100_0546S 


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

31 thoughts on “हरा बैंगळुरू; भरा बैंगळुरू

  1. पॉंच-सात बरस पहले बेंगलुरु जाना हुआ था। हरियाली सचमुच ही मनमोहक है। सडकों पर बिजली के खम्‍भे तो हैं किन्‍तु तार आसमान में नजर नहीं आते। बिजली के तारों को धरती के नीचे बिछाया गया है।इस पोस्‍ट ने वह सब याद दिला दिया।

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