क्यारी में काम करते अर्जुन पटेल दो महीने पहले (नवम्बर २९ की पोस्ट) मिला था अर्जुन प्रसाद पटेल से। वे गंगा के कछार में खेती कर रहे थे। एक महीने बाद (दिसम्बर २५ की पोस्ट) फिर गया उनकी मड़ई पर तो वे नहीं थे। उनकी लड़की वहां थी। और तब मुझे लगा था कि सर्दीContinue reading “पालक”
Monthly Archives: Jan 2010
रीडर्स डाइजेस्ट के बहाने बातचीत
कई दशकों पुराने रीडर्स डाइजेस्ट के अंक पड़े हैं मेरे पास। अभी भी बहुत आकर्षण है इस पत्रिका का। कुछ दिन पहले इसका नया कलेक्टर्स एडीशन आया था। पचहत्तर रुपये का। उसे खरीदने को पैसे निकालते कोई कष्ट नहीं हुआ। यह पत्रिका सन १९२२ के फरवरी महीने (८८ साल पहले) से निकल रही है। मैंContinue reading “रीडर्स डाइजेस्ट के बहाने बातचीत”
चिठ्ठाचर्चा
चिठ्ठाचर्चा चिठ्ठीचर्चा न्यू चिठ्ठाचर्चा बेस्ट चिठ्ठाचर्चा असली चिठ्ठाचर्चा चिठ्ठाचर्चा डॉट फलाना : असली और मोस्ट हाइटेक! उत्कृष्टता की एक मात्र दावेदार दुकान!! 🙂 😦
मैम भक्त मेमने और मैं
प्रवीण पाण्डेय को अपने बैंगळुरु स्थानान्तरण पर कुछ नये कार्य संभालने पड़े। बच्चों को पढ़ाना एक कार्य था। देखें, उन्होने कैसे किया। यह उनकी अतिथि पोस्ट है। मुझे अपना भी याद है – जब अपने बच्चे को मैने विज्ञान पढ़ाया तो बच्चे का कमेण्ट था – यह समझ में तो बेहतर आया; पर इसे ऐसेContinue reading “मैम भक्त मेमने और मैं”
पगली
उसे गंगा किनारे देखा है। उम्र बहुत ज्यादा नहीं लगती – पच्चीस से ज्यादा न होगी। बाल काले हैं। दिमाग सरका हुआ है – पगली। एक जैकेट, अन्दर स्वेटर, नीचे सलवार-घाघरा नुमा कुछ वस्त्र पहने है। गंगा किनारे बीनती है कागज, घास फूस, लकड़ी। तट के पास एक इन्दारा (कुआं) है। उसकी जगत (चबूतरे) परContinue reading “पगली”
हरी ऊर्जा क्रान्ति, भारत और चीन
बाजू में मैने मेकेंजी क्वाटर्ली (McKinsey Quarterly) की लेखों की विजेट लगा रखी है। पता नहीं आप में से कितने उसे देख कर उसके लेखों को पढ़ते हैं। मैं बहुधा उसके लेखों को हार्ड कापी में निकाल कर फुर्सत से पढ़ता हूं। इसमें भारत और चीन विषयक लेख भी होते हैं। भारत प्रगति कर रहाContinue reading “हरी ऊर्जा क्रान्ति, भारत और चीन”