माघ मेला के बाद गंगा कछार में खेती

माघ मेला के बाद गंगा नदी में पानी की आमद घट गई है। लिहाजा नये टापू उभरने लगे हैं। आज सवेरे देखा कि पिछले हफ्ते में उभर आये टापू पर भी खेती प्रारम्भ हो गयी है। सवेरे सवा छ बजे सूर्योदय नहीं हुआ था, पर एक नाव उन पर जा रही थी।

यह फोटो मोबाइल कैमरे से नाइट मोड में लिया गया है।

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

16 thoughts on “माघ मेला के बाद गंगा कछार में खेती

  1. सही है जी, जो भी ज़मीन मिले जहाँ मिले खेती हो जावे, खूब। वैसे भी गंगा की छोड़ी भूमि है, मिनरल वगैरह जो बहकर आए होंगे वे जम गए होंगे वहाँ तो भूमि उपजाऊ भी हो गई होगी।@मिश्रा जी, नोकिआ का एन७० म्यूज़िक एडीशन है कैमरा, वैसे नाईट मोड न भी बताते तो आईएसओ और शटर स्पीड द्वारा पता चल जाता! :)

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  2. वाह जी मिश्राजी !यह तो हमें इतने सालों से पता ही नहीं था।सूचना के लिए धन्यवादजी विश्वनाथ

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  3. विश्वनाथ जी,आज कल के कैमरे तस्वीरों के साथ ये EXIF डाटा अटैच कर देते हैं| जिसको तस्वीर की प्रापर्टीज मे देखा जा सकता है।आप इस फ़ाइल को अपने कम्प्यूटर पर सेव कीजिये उस पर माउस प्वाइन्टर ले जाते ही ये सूचना आपको दिख जायेगी।

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  4. रचना (दोनों – चित्रों वाली और शब्दों वाली) अच्छी लगी। तुलसी दास जी के शब्दों में कहूँ तो –थोड़े महँ जानिहहिं सयाने।

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  5. खेती तो हो जायेगी पर मीठे फल होने के लिये लू चलना आवश्यक है । पता नहीं फलों में रस लाने के लिये प्रकृति को कठोर क्यों होना पड़ता है ? जाड़े में भी, गर्मी में भी ।

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