प्रधान, पोखरा, ग्रीस और पुर्तगाल


मैं पिछले महीने में प्रधान जी से कई बार बात करने का यत्न कर चुका। हर बार पता चलता है कि पोखरा (तालाब) खुदा रहे हैं। लगता है नरेगा की स्कीम उनका बहुत समय ले ले रही है। सरकार बहुत खर्च कर रही है। पैसा कहीं से आ रहा होगा। हर वैसी स्कीम जो कमContinue reading “प्रधान, पोखरा, ग्रीस और पुर्तगाल”

प्रधान, पोखरा, ग्रीस और पुर्तगाल


मैं पिछले महीने में प्रधान जी से कई बार बात करने का यत्न कर चुका। हर बार पता चलता है कि पोखरा (तालाब) खुदा रहे हैं। लगता है नरेगा की स्कीम उनका बहुत समय ले ले रही है। सरकार बहुत खर्च कर रही है। पैसा कहीं से आ रहा होगा।

महानता के मानक – मैं और आप


पिछली तीन पोस्टों में सबकी टिप्पणियों पर सज्ञान प्रतिटिप्पणियाँ देकर आज जब विचारों को विश्राम दिया और दर्पण में अपना व्यक्तित्व निहारा तो कुछ धुँधले काले धब्बे, जो पहले नहीं दिखते थे, दिखायी पड़ने लगे। कुछ दिन हुये एक चर्चित अंग्रेजी फिल्म देखी थी, "मैट्रिक्स"। यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है।Continue reading “महानता के मानक – मैं और आप”

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